सभी तरह के सोने के लेनदेन को इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री में दर्ज किया जाना चाहिए।
ताकि पता चल सके कि कहीं कोई व्यक्ति सोना खरीदकर काला धन तो जमा नहीं कर रहा है।
नई दिल्ली । सरकार को अगर रिजर्व बैंक की एक समिति की सिफारिश रास आयी तो सोने की हर खरीद-फरोख्त इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रजिस्ट्री में दर्ज की जाएगी। इसका मतलब है कि जब भी आप किसी ज्वैलर से सोना खरीदेंगे तो किताब रखा जाएगा ताकि पता चल सके कि कहीं कोई व्यक्ति सोना खरीदकर काला धन तो जमा नहीं कर रहा है।
सोने की खरीद भले ही कितनी भी राशि की हो लेकिन इसके लिए पैन कार्ड जरूरी हो सकता है। फिलहाल सिर्फ दो लाख रुपये के सोने की खरीद के लिए ही पैन नंबर जरूरी होता है। यह महत्वपूर्ण सिफारिश रिजर्व बैंक की एक समिति ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में की है।
समिति ने यह सिफारिश सोने के रूप में काला धन जमा करने की प्रवृत्ति पर नियंत्रण लगाने के इरादे से की है। आरबीआइ ने वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की उपसमिति की 26 अप्रैल 2016 को हुई चर्चा के बाद भारत में घरेलू वित्त के विभिन्न पहलुओं के अध्ययन के लिए इस समिति का गठन किया था।
लंदन के इंपीरियल कालेज के प्रोफेसर तरुण रामादोराई की अध्यक्षता वाली इस समिति में रिजर्व बैंक, सेबी, बीमा नियामक इरडा और पीएफआरडीए के प्रतिनिधि शामिल हैं। आरबीआइ ने गुरुवार को इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया।
सोना खरीदने को पैन की अनिवार्यता की वकालत करते हुए समिति का कहना है कि सोने का इस्तेमाल कर चोरी के लिए किया जाता है। इसलिए ज्वैलर्स से सोना खरीद के लिए पैन की अनिवार्यता दो लाख रुपये से अधिक के लेनदेन तक ही सीमित न रखी जाए बल्कि सोने की सभी तरह की खरीद के लिए पैन जरूरी किया जाए।
समिति का कहना का है सोना खरीदने को पैन की अनिवार्यता होने के बाद इसका लेनदेन छिपकर किया जा सकता है। इसलिए इसे रोकने के लिए सभी तरह के सोने के लेनदेन को इलेक्ट्रॉनिक रजिस्ट्री में दर्ज किया जाना चाहिए। समिति का कहना है कि सोना खरीदकर टैक्स चोरी रोकने के आयकर के आंकड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए।
साथ ही कर चोरी रोकने के प्रावधानों को सख्ती से लागू करना चाहिए। समिति ने गोल्ड एक्सचेंज बनाने का भी सुझाव दिया है ताकि सोने के बाजार को प्रोत्साहित किया जा सके। सोने के लेनदेन को नियमित करने संबंधी समिति की ये सिफारिशें इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि दुनियाभर में सबसे ज्यादा सोने की खपत भारत में होती है।
भारत भारी भरकम विदेशी मुद्रा खर्च कर हर साल सोने का आयात करता है। वित्त वर्ष 2015-16 में भारत ने 968 टन सोने का आयात किया था। भारत में लोग अपनी कुल संपत्ति का करीब 11 प्रतिशत सोने के रूप में रखते हैं जबकि चीन में यह आंकड़ा मात्र 0.4 प्रतिशत है।
सरकार काफी समय से काले धन पर अंकुश लगाने के इरादे से लेनदेन में पारदर्शिता लाने की कोशिश कर रही है। इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए सोने पर उत्पाद शुल्क लगाया गया था। वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद भी सोने और अन्य कीमती धातुओं पर जीएसटी की विशेष दर लगायी गयी है।
द. कोरिया से लाइसेंस पर सोने व चांदी का आयात होगा
दक्षिण कोरिया से सोना, चांदी के आयात को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने सख्ती बढ़ा दी है। अब वहां से इन कीमती धातुओं को लाने के लिए आयातकों को विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से लाइसेंस लेना होगा। पिछले कुछ समय में दक्षिण कोरिया से सोना-चांदी के आयात में तेज वृद्धि हुई है।
इसी को नियंत्रित करने के लिए सरकार सख्त कदम उठा रही है। एक जुलाई से तीन अगस्त के बीच दक्षिण कोरिया से 33.86 करोड़ डॉलर (करीब 2,167 करोड़ रुपये) का सोना आयात हुआ है। 2016-17 में इसकी तुलना में आयात 7.05 करोड़ डॉलर (करीब 451 करोड़ रुपये) का रहा था।
दक्षिण कोरिया और भारत के बीच जनवरी 2010 में मुक्त व्यापार समझौता हुआ था। इस मुक्त व्यापार समझौते के बाद सोने पर लगने वाली बेसिक कस्टम ड्यूटी को हटा लिया गया था। बाद में इस पर 12.5 फीसद की काउंटरवेलिंग ड्यूटी लगाई गई थी।
जीएसटी लागू होने के बाद इस पर सिर्फ तीन फीसद की दर से एकीकृत जीएसटी है। जिन देशों से मुक्त व्यापार समझौता नहीं है, वहां से आयातित सोने पर 10 फीसद कस्टम ड्यूटी लागू है।