मुंबई। ग्लोबल ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन वर्षों से अपने भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर कुछ विक्रेताओं को ज्यादा सुविधा देती रही है। यह बात रायटर्स ने ऑलाइन मार्केट प्लेस कंपनी के आंतरिक दस्तावेजों के हवाले से एक रिपोर्ट में कही। रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन ने कुछ विक्रेताओं के साथ अपने ज्याद गहरे रिश्तों को छुपाए रखा और उसके सहारे ई-कॉमर्स में विदेशी निवेश के सख्त नियमों की अवहेलना की।
2012 से लेकर 2019 तक के ये डॉक्यूमेंट्स बताते हैं कि जब भी भारत सरकार ने देश के छोटे व्यापारियों की सुरक्षा के लिए नियमों को सख्त किया, अमेजन ने अपने कॉरपोरेट स्ट्रक्चर में थोड़ा बदलाव कर कागज पर दिखा दिया कि वह नियमों का पालन कर रही है। भारत अमेजन के लिए एक बड़ा बाजार है और यह रिपोर्ट अमेजन के लिए बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती है। देश के व्यापारी जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोट बैंक हैं, वे पहले से ही अमेजन पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह कुछ बड़े विक्रेताओं की तरफदारी करती है और आक्रामक प्राइसिंग करने में उन्हें मदद करती है, जिससे देश के साधारण व्यापारियों को नुकसान होता है।
अमेजन ने एक बयान में कहा कि हमने हमेशा कानून का पालन किया है, क्योंकि सरकार की नीति जब भी बदली है, हमने कुछ जरूरी बदलाव कर यह सुनिश्चित कर लिया है कि हम कानून का पालन कर रहे हैं। कंपनी ने यह भी दावा किया है कि वह किसी विक्रेता की तरफदारी नहीं करती है और उसके प्लेटफॉर्म पर हर एक विक्रेता अपने माल भंडार और कीमत का फैसला खुद करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक अमेजन की वेबसाइट के जरिये भारत में होने वाली कुल ऑनलाइन बिक्री का दो-तिहाई हिस्सा उसके महज 35 सेलर्स के हाथों में सिमटा हुआ है, जबकि कंपनी दावा करती है कि उसके साथ 7,00,000 से ज्यादा विक्रेता जुड़े हुए हैं और उन्हें उसकी बदौलत बड़ा फायदा मिल रहा है। अमेजन के दस्तावेजों में PM नरेंद्र मोदी के बारे में कहा गया है कि मोदी ना तो बुद्धिजीवी हैं और ना ही बहुत विद्वान हैं। उन्हें लगता है कि केवल मजबूत शासन-प्रशासन के जरिये सफल सरकार चलाई जा सकती है। पीएम मोदी को साधारण, तार्किक और सीधी सोच के लिए जाना जाता है। वो बहुत भारी-भारकम एकेडमिक शब्दजाल में नहीं फंसना चाहते।
रिपोर्ट के मुताबिक अपने प्लेटफॉर्म के कुछ बड़े विक्रेताओं की इनवेंटरी पर अमेजन काफी मजबूत नियंत्रण रखता है, जबकि उसका दावा है कि सभी विक्रेता स्वतंत्रता पूर्वक अपना कारोबार चलाते हैं। अमेजन के एक प्रमुख विक्रेता क्लाउडटेल में उसकी हिस्सेदारी है। उसे अमेजन ने एपल जैसी कुछ बड़ी टेक कंपनियों के साथ सौदा करने में मदद की। अमेजन के आंतरिक डॉक्यूमेंट में क्लाउडटेल को स्पेशल मर्चेंट (SM) कहा जाता है।
पिछले साल जनवरी में भारत दौरे के समय अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस कहा था कि छोटे विक्रेताओं को प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए कंपनी देश में 1 अरब डॉलर खर्च करेगी। इसके शामिल करने से भारत में अमेजन के निवेश का वादा बढ़कर 6.5 अरब डॉलर का हो चुका है। हालांकि फॉरेस्टर रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि 2019 में अमेजन भारत में कुल करीब 10 अरब डॉलर की बिक्री की थी।
अमेजन के सीनियर एग्जिक्यूटिव जे. कार्नी को 2019 में जब वाशिंगटन में भारतीय राजदूत के साथ एक बैठक करनी थी, तो अमेजन के कर्मचारियों ने कार्नी को एक नोट तैयार करके दिया था। नोट में बताया गया था कि कानी को इस बात पर जोर देना है कि अमेजन ने भारत में 5.5 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है और 4,00,000 से ज्यादा भारतीय विक्रेताओं को एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया है। उन्हें हालांकि यह बात छुपाने की सलाह दी गई थी कि अमेजन का करीब एक तिहाई सेल सिर्फ 33 विक्रेताओं द्वारा हो रहा है।
कुछ बड़े विक्रेताओं में अमेजन की सीधी हिस्सेदारी
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेजन की भारतीय वेबसाइट पर 2 अन्य विक्रेताओं (SM1 & SM2) की 2019 की शुरुआत में ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर होने वाली कुल बिक्री में 35% हिस्सेदारी थी। इन विक्रेताओं में अमेजन की सीधी हिस्सेदारी है। इसका मतलब है कि अमेजन के भारत में चार लाख दुकानदारों में से सिर्फ 35 विक्रेताओं की ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म की कुल ऑनलाइन बिक्री में दो-तिहाई हिस्सेदारी रही है।