आयकर में 50 लाख से ऊपर के मामले पर 10 साल तक के केस खोल सकते हैं

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कोटा। टैक्स बार एसोसिएशन कोटा की ओर से यूनियन बजट 2021 पर आयोजित वर्चुअल सेमिनार में मुख्य वक्ता सीए नीरज जैन ने बताया कि एक फरवरी 2021 या उसके बाद में जारी की गई ULIP जिसका सालाना  प्रीमियम 2.50 लाख से ज्यादा होगा तो maturity राशि पर  कैपिटल गेन के तहत टैक्स लगेगा। कैपिटल एसेट की डेफिनिशन व धारा 10(10D) में संशोधन किया गया है।

मृत्यु पर मिलने वाली राशि अभी भी टैक्स फ्री रहेगी।  केवल A.Y 2021-22 में LTC के बजाय कर्मचारी को दिया गया नकद भुगतान  टैक्स फ्री होगा। बशर्ते इसका तीन गुना खर्चा 31 मार्च 2021 से पहले उन वस्तु व सेवा की खरीद में हुआ हो, जिन पर 12% या उससे अधिक GST लगता हो। प्रति व्यक्ति खर्चा रुपए 36000 से ज्यादा ना हो। उन्होंने बताया कि छोटे स्कूल व हॉस्पिटल की धारा 10(23C)(iii ad) व ae की इनकम की लिमिट 1 करोड़ से 5 करोड़ की गई है, लेकिन एक सोसाइटी और ट्रस्ट की सभी संस्थाओं की रिसिट्स को जोड़कर देखना होगा।

उन्होंने बताया कि धारा 80IBA में  प्रवासी मजदूर के लिए अफोर्डेबल रेंटल हाउसिंग प्रोजेक्ट को भी सम्मिलित किया गया।  अब 31 मार्च 22 तक अनुमोदित प्रोजेक्ट्स भी इस धारा का  फायदा ले पाएंगे। धारा 80IAC व 54GB कैपिटल गेन इन्वेस्टमेंट के लिए न्यू स्टार्ट-अप की समय सीमा 31 मार्च 22 तक बढ़ाई गई है।

फर्स्ट टाइम मकान खरीदने के लिए 45 लाख तक का घर खरीदने पर ब्याज की एक्स्ट्रा छूट 1.50 लाख के लिए समय सीमा 31 मार्च 22 तक बढ़ा दी गई है। 12 नवम्बर 2020 से 30 जून 2021 तक बिल्डर  और खरीददार डीएलसी से 20% कम तक बेच सकते हैं। कोई एक्स्ट्रा टैक्स नहीं लगेगा।

ब्लॉक ऑफ एसेट्स की डेफिनिशन में से व्यापारिक गुडविल को अलग कर दिया है अब इस पर डेप्रिसिएशन नहीं मिलेगा।  आयकर की धारा 44AB के तहत व्यापार के 95% तक आय और व्यय बैंकिंग चैनल से हुए हैं तो 10 करोड़ तक इनकम टैक्स ऑडिट कराने की आवश्यकता नहीं है। परंतु यह नियम बहुत ही व्यवहारिक है। 

उन्होंने बताया कि आयकर की धारा  139(4) व ,139(5) में संशोधन करते हुए रिवाइज और लेट रिटर्न भरने के समय में 3 माह की कटौती की गई है अब 31 दिसंबर तक थी रिटर्न भरा जा सकेगा। विभिन्न न्यायालय के निर्णय को रोकने के लिए संशोधन किया गया है कि ईएसआई और पीएफ को समय पर जमा नहीं कराया तो उस खर्चे की छूट नहीं मिलेगी और टैक्स जमा कराना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि सर्च और रेड के असेसमेंट के लिए स्पेशल प्रावधान धारा 153A व 153C खत्म कर दिए गए हैं।अब सर्च के केसेज भी होंगे धारा 147 और 148 के तहत निपटाए जाएंगे जिससे आयकरदाता को राहत प्रदान होगी। बजट में नई धारा 148A जोड़ी गई है जिससे रिएसेसमेंट के नोटिस से पहले जांच का प्रावधान किया है।

आयकर के नए प्रावधानों के तहत अब केस रिओपन करने के लिए 6 साल की जगह 3 साल कर दिया गया है। अब आयकरदाताओं को 4 साल से पुराने नोटिस नहीं आएंगे। बशर्ते कि 50 लाख से बड़ा मामला न हो 50 लाख से ऊपर के मामले पर 10 साल तक के केस खोल सकते हैं। परंतु प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त से अनुमति लेनी होगी।

इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन खत्म
उन्होंने बताया कि धारा 142(1) के नोटिस भी अब फेसलेस ही प्राप्त होंगे और आयकर ट्रिब्यूनल की प्रोसीडिंग भी भविष्य में फेसलेस की होगी। इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन खत्म कर दिया गया है। ट्रस्ट में कॉरपस फण्ड टैक्स फ्री होता है उसके लिए कॉर्पस फंड को धारा 11(5) के अनुसार जमा करना होगा। कॉर्पस फण्ड को खर्च करने पर एप्लीकेशन नहीं माना जाएगा हालांकि इसकी पुन: पूर्ति को एप्लिकेशन माना जाएगा।

पार्टनरशिप फर्म/AOP/ BOI के डिसॉल्युशन या रिकंस्ट्रक्शन पर पार्टनर या मेंबर को मिलने वाली एसेट पर कैपिटल गेन की गणना का नया फार्मूला बनाया गया है,  जिसमें मिलने वाली एसेट/ मनी की बाजार वैल्यू में से कैपिटल एकाउंट का बैलेंस घटाने पर शेष राशि की गणना करनी होगी।

धारा 143(1)(a) के  इनकम के एडजस्टमेंट  भी अब ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर भी एवं धारा 80AC के आधार पर भी किए जा सकेंगे। आयकर अधिनियम की धारा 44ADA के तहत  अब  एलएलपी फार्म अनुमानित लाभ के पर रिटर्न नहीं भर सकेगी  उन्हें  नियमित खाते बही बनाकर आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा।

2.5 लाख सालाना से ज्यादा पीएफ में जमा कराया तो टैक्स लगेगा
उन्होंने बताया कि 01 अप्रैल 2021 या उसके बाद 2.5 लाख सालाना से ज्यादा प्रोविडेंट फंड में जमा कराई गई राशि पर कमाए गए ब्याज की राशि अब धारा 10 के क्लॉज (11) व (12) मे कर मुक्त नहीं होगी उस पर टैक्स चुकाना होगा। 1 जुलाई 21 से नई धारा 194Q के अंतर्गत एक साल में एक व्यक्ति से 50 लाख से ज्यादा की खरीद पर 0.1% TDS काटना होगा। यह नियम केवल उन्ही व्यक्ति पर लगेगा जिसका टर्नओवर 10 करोड़ से ज्यादा है।

उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 21 से नई धारा 206AB  व 206CCA के अंतर्गत कोई व्यक्ति जिसका पिछले दो सालो में 50000 या  उससे अधिक TDS/TCS डिडक्ट या कलेक्ट हुआ हो और उसने रिटर्न फाइल ना किया हो तो इस तरह के व्यक्ति पर TDS/TCS को दुगनी दर या 5% में से जो भी ज्यादा हो पर डिडक्ट या कलेक्ट किया जाएगा। यह प्रावधान वेतन आय, नोन रेजिडेंट, लॉटरी आदि के भुगतान पर लागू नहीं होगा। शेयर पर प्राप्त डिविडेंड इनकम पर अब एडवांस टैक्स की लाइबिलिटी उसके डिक्लेरेशन या भुगतान के बाद ही उत्पन्न होगी।

जीएसटी में हुए परिवर्तनों पर सीए देवेंद्र कटारिया ने विस्तार से चर्चा की और कहा कि बजट में किए गए प्रावधानों को नोटिफिकेशन आने के बाद लागू किया जाएगा। अभी सिर्फ इसका प्रोविजन किया गया है।

सेमिनार का संचालन टैक्स बार एसोसिएशन के सचिव सीए लोकेश माहेश्वरी और स्टडी सर्किल चेयरमैन एडवोकेट ओम बड़ोदिया ने किया। सेमिनार में बड़ी संख्या में एडवोकेट, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेट्री, कॉस्ट अकाउंटेंट सहित बड़ी संख्या में टैक्स प्रोफेशनल ने भाग लिया।

75 वर्ष के सीनियर सिटीजन को रिटर्न भरने से छूट, टैक्स में छूट नहीं
टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट राजकुमार विजय ने कहा कि जो सीनियर सिटीजन 75 वर्ष के हो चुके हैं, रिटर्न फ़ाइल की जरूरत नहीं। बशर्ते कि, सिर्फ पेंशन व ब्याज की इनकम हो और पेंशन वाले बैंक के अलावा कहीं खाता नहीं हो। सरकार सिर्फ कुछ बैंकों को नोटिफाई करेगी, जिसमें डिक्लेरेशन देना होगा ताकि सही टैक्स कैलकुलेट हो सके। ध्यान रहे रिटर्न भरने से छूट दी गई है। टैक्स में छूट नहीं दी गई है। शेयर्स के ट्रांजेक्शन करने वालों को बड़ी राहत मिलेगी, क्योंकि अब पोर्टल पर रिफ्लेक्ट होंगे उनके शेयर में किए गए ट्रांजैक्शन। इसलिए शेयर्स का नफा और नुकसान आटोमेटिक कैलकुलेट हो जाएगा।