मुंबई। शेयर घोटाले में 25 साल बाद आखिरकार बैंक के चार पूर्व अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। सीबीआई की विशेष अदालत ने चारों अफसरों को तीन-तीन साल कैद और पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। हालांकि ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए अदालत ने फिलहाल सभी को जमानत दे दी है। इन पर शेयर दलाल दिवंगत हर्षद मेहता को अवैध तरीके से करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाने का आरोप है।
वर्ष 1992 के शेयर बाजार घोटाले के मुख्य आरोपी हर्षद मेहता की 2001 में मौत हो चुकी है। विशेष जज एचएस महाजन ने करोड़ों रुपये के इस घोटाले में एमएस श्रीनिवासन (स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र के पूर्व फंड मैनेजर), विनायक देवस्थली (यूको बैंक के पूर्व असिस्टेंट मैनेजर), आर सीतारमण (एसबीआई की प्रतिभूति शाखा के अधिकारी) और पीए करखनिस (यूको बैंक के पूर्व सीनियर मैनेजर) को सजा सुनाई है।
इन्हें भ्रष्टाचार, बैंक खातों में फर्जीवाड़ा करने समेत अन्य आरोपों में दोषी ठहराया गया है। अधिकारियों पर हर्षद मेहता के यूको बैंक स्थित खाते में गलत तरीके से पैसे ट्रांसफर करने का आरोप है। श्रीनिवासन और अन्य आरोपी अधिकारियों ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर मेहता के खाते में स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र का 198 करोड़ रुपया भी क्रेडिट किया था। कोर्ट ने पीएस गोखले को बरी कर दिया, जबकि मौत होने के चलते हर्षद मेहता और एमवी सिद्धाय के नाम को आरोपियों की सूची से हटा दिया गया था।