किसान आंदोलन: हिंसा में शामिल किसान नेताओं को जारी हुए लुकआउट नोटिस

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नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसा में आरोपी किसान नेता पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए कहीं चुपके से विदेश न भाग जाएं, इस आशंका को देखते हुए घटना के दो दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को इमिग्रेशन की मदद से कुछ किसान नेताओं के खिलाफ लुकआउट नोटिस (एलओसी) जारी किया है। दिल्ली पुलिस ने एक बयान में कहा कि इन किसान नेताओं के पासपोर्ट भी जब्त किए जाएंगे।

दिल्ली पुलिस ने मंगलवार की हिंसा के लिए मेधा पाटकर, बूटा सिंह, दर्शन पाल, राकेश टिकैत, राजिंदर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल और योगेंद्र यादव सहित 37 किसान नेताओं के खिलाफ समयपुर बादली थाने में एक एफआईआर दर्ज की है।

पुलिस ने कहा कि उनका परेड के लिए तय मार्ग पर न जाने और तथाकथित परेड समय से पहले शुरू करने का उद्देश्य गणतंत्र दिवस परेड को बाधित करना था और प्रदर्शनकारियों ने इसके लिए हिंसा का सहारा लिया और उनका जमावड़ा COVID-19 के मद्देनजर दिशानिर्देशों का उल्लंघन भी था।

मंगलवार को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान भड़की हिंसा के सिलसिले में दिल्ली पुलिस द्वारा अब तक 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 25 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं। दिल्ली पुलिस कमिश्नर एस.एन. श्रीवास्तव ने बुधवार को कहा था कि 394 पुलिसकर्मी हिंसा में घायल और उनमें से कई अब भी अस्पतालों में भर्ती हैं।

दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी को ऐतिहासिक स्मारक लाल किले पर हुई हिंसा के संबंध में दर्ज एफआईआर में पंजाबी अभिनेता दीप सिद्धू और गैंगस्टर लक्खा सधाना का नाम भी जोड़ लिया है।

कृषि कानूनों के विरोध में अपनी ट्रैक्टर रैली के दौरान प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स तोड़ दिए थे और राजधानी के कई हिस्सों में जमकर तोड़फोड़ की की थी। प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई हिंसा में कई सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया। दिल्ली पुलिस ने आईटीओ पर हुई इस घटना का उल्लेख करते हुए कुल 22 एफआईआर दर्ज की हैं, जहां एक किसान की ट्रैक्टर पलटने से मौत हो गई थी।

किसानों का आंदोलन अब भी जारी
इस बीच, सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर सुरक्षा व्यवस्था और अधिक कड़ी कर दी गई है जहां किसान कृषि कानूनों के खिलाफ 64वें दिन भी अपना आंदोलन जारी रखे हुए हैं।बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। केन्द्र सरकार इन कानूनों को जहां कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।