जयपुर। शहर में तीन बड़े रियल एस्टेट और जौहरी कारोबारी समूहों के यहां छापेमारी के अगले ही दिन टैक्स चोरी की एक और बड़ी कार्रवाई हुई। डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटलीजेंस (डीजीजीआई) जयपुर की जाेनल यूनिट ने फर्जी तरीके से आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) के मामले में सीए सहित पांच लाेगाें काे गिरफ्तार किया है। इस पूरे गिरोह को जयपुर के वैशाली नगर निवासी कारोबारी विष्णु गर्ग चला रहा था। उसके साथ एक सीए सहित 4 और लोग जुड़े थे।
इन आराेपियाें ने 25 फर्माें के नाम से राजस्थान के अलावा मध्य प्रदेश और तेलंगाना सहित अन्य राज्यों में माल की आवाजाही दर्शकर करीब 1004 कराेड़ रुपए के फर्जी बिल काटे थे। इन्हीं बिलों से उन्होंने 146 कराेड़ रुपए का आईटीसी क्लेम किया था। अब जांच की जा रही है कि इनमें से कितने क्लेम पास हो चुके हैं या नहीं, लेकिन माना यह जा रहा है कि उसने बड़े पैमाने पर क्लेम उठाए हैं।
डीजीजीआई के एडीजी राजेन्द्र कुमार के अनुसार, विष्णु गर्ग (45) की 5 कंपनियों मैसर्स विकास ट्रेडिंग कंपनी, मैसर्स श्री श्याम ट्रेडर्स, मैसर्स विनायक एसोसिएट्स, मैसर्स एसपी इंटरप्राइजेज, मैसर्स वीक. इंडस्ट्रीज एंड कारपोरेशन के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। जांच में पता चला कि विष्णु ने माल की आपूर्ति के बिना नकली चालान जारी किए।
विष्णु की जयपुर की 5 फर्माें के अलावा 3 राज्यों में 20 और फर्में थीं। इस काम में उसके सहयोगी बद्रीलाल माली, महेंद्र सैनी, सीए भगवान सहाय गुप्ता के अलावा हैदराबाद निवासी प्रदीप दयानी भी शामिल थे। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि इन 25 फर्मों को जीएसटी और वैट के तहत भी बनाया गया था। ये कुल 1004.34 करोड़ रुपए के नकली चालान थे और इनसे 146 करोड़ रुपए का आईटीसी क्लेम शामिल है।
यह राशि प्रारंभिक जांच में उजागर हुई है, जिसकी बाद में और बढ़ने की आशंका है। विष्णु इन सब फर्जी बिलों के जारी करने में मास्टरमाइंड था और उसने कुल 200 फर्मों को चालान जारी किए, जो राजस्थान, मध्यप्रदेश और तेलंगाना व अन्य राज्यों में स्थित हैं।
उसने मुख्य रूप से टिम्बर, स्क्रैप, प्लाईवुड और गोल्ड आदि के संबंध में बिल जारी किए। अब तक की जांच में पता चला है कि फर्मों को माल की वास्तविक आपूर्ति के बिना फर्जी चालान के आधार पर आईटीसी के फर्जी तरीके से पारित करने के एकमात्र उद्देश्य के लिए बनाया था। विष्णु गर्ग ने अब तक कुल 4.05 करोड़ रुपए जमा किए हैं।