नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर करीब हफ्तेभर से चल रहा किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) लगातार जोर पकड़ता जा रहा है। इस बीच सरकार एक बार फिर किसानों को मनाने की कोशिश करेगी। आज सरकार और किसान नेताओं के बीच पांचवें दौर की वार्ता है।
माना जा रहा कि इस बैठक में कोई फैसला हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि 3 दिसंबर को हुई पिछली बैठक के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने किसानों की कई मांगों पर विचार का भरोसा दिया है। हालांकि, किसानों की ओर से भी साफ कहा गया है कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं मानता है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
किसानों ने 8 दिसंबर को किया ‘भारत बंद’ का ऐलान
सरकार के साथ आज होने वाली बैठक से एक दिन पहले किसान संगठनों ने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का ऐलान कर दिया है। उन्होंने दो टूक शब्दों में अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो वे राष्ट्रीय राजधानी पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे। किसान नेता अपनी इस मांग पर अड़ गए हैं कि इन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार संसद का विशेष सत्र बुलाए। उनका कहना है कि वे नये कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं बल्कि वे चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाए।
टोल प्लाजा पर करेंगे कब्जा, आंदोलन होगा और तेज
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर सिंह लखवाल ने कहा कि हमने आठ दिसम्बर को भारत बंद का का फैसला किया है और इस दौरान हम सभी टोल प्लाजा पर कब्जा भी कर लेंगे। उन्होंने कहा कि किसान शनिवार को केन्द्र सरकार और कॉरपोरेट घरानों के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और उनके पुतले फूकेंगे। सात दिसम्बर को खिलाड़ी किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए अपने पदक लौटाएंगे। उनके सख्त रुख के बीच सूत्रों ने अनुसार, सरकार ने गतिरोध खत्म करने के लिए उन प्रावधानों का संभावित हल तैयार कर लिया है जिन पर किसानों को ऐतराज है।
किसानों के तल्ख तेवर के बीच सरकार के साथ आज बैठक
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार पांचवें दौर की वार्ता में उनकी मांगें मान लेगी। वहीं आज होने वाली वार्ता में सरकार की ओर से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर शामिल होंगे। उनके साथ खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य-उद्योग राज्यमंत्री सोमप्रकाश भी होंगे।
इन मांगों पर विचार के लिए तैयार है सरकार
गुरुवार को तोमर ने किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने का हरसंभव प्रयास करेगी। इसके तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिए जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है। उन्होंने यह भी कहा था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद व्यवस्था जारी रहेगी। लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों को गिनाते हुए कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया।