-अरविन्द
आस्था का जनसैलाब : बारां जिले में निकली पदयात्राओं में हजारों श्रद्धालुओं के जयघोष से गूंज उठा तीर्थधाम
बारां। हनुमान जन्मोत्सव पर्व पर मंगलवार को बड़ के बालाजी, प्रताप चौक, बारां से सैकडों पदयात्री भजनों पर झूमते हुए जयकारों के साथ बड़ां धाम बालाजी के लिए रवाना हुए। पूर्व मंत्री एवं समाजसेवी प्रमोद जैन भाया एवं उर्मिला भाया ने बताया कि बड़ां में 600 वर्ष पुराना बड़ां बालाजी मंदिर लोगों की आस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। बड़ां बालाजी जनकल्याण समिति द्वारा मंदिर में संगीतमय सुंदरकांड एवं विशाल महाआरती की गई।
मंगलवार को बड़ां बालाजीधाम पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान हुए। बड़ां बालाजी जनकल्याण समिति अध्यक्ष हंसराज मीणा ने बताया कि आचार्य लक्ष्मीनारायण (बूंदी), आचार्य बृजराज शास्त्री ( टारडा), आचार्य हेमराज शर्मा (बड़ां) व आचार्य सुनील के सान्निध्य में 51 ब्राह्मणों ने विशेष पूजा-अर्चना तथा बाल्मिकी सुंदरकांड के अभिषेक-अनुष्ठान में मुख्य यजमान कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष सेवाभावी प्रमोद जैन भाया-श्रीमती उर्मिला भाया रहे।
मंदिर समिति के अध्यक्ष हंसराज मीणा व महामंत्री द्वारिका सेन ने बताया कि एक दशक पूर्व यहां जीर्ण-शीर्ण बावडी के पास बालाजी की दिव्य प्रतिमा थी। गौसेवक संत पूज्य पं.कमलकिशोर नागरजी ने यहां श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ किया, उस समय पूर्व सार्वजनिक निर्माण मंत्री प्रमोद जैन भाया ने एक जनकल्याण समिति गठित कर ऐतिहासिक मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। 3 वर्ष तक सैकड़ों भक्तों ने जीर्णोद्धार कार्य में सेवाएं दी। गुजरात के आर्किटेक्ट ने इसकी परियोजना बनाई। ढूंडाड़ शैली में नवनिर्मित दिव्य बालाजी मंदिर बारां जिले में आध्यात्मिक टूरिज्म का प्रमुख केंद्र है, जहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु बाहर से आते हैं। चारदीवारी एवं मुख्यद्वार को हेरिटेज लुक दिया गया।
बालाजी का तीर्थस्थल बनाने के लिए परिसर को चार भागों में विकसित किया। पहला, श्री बालाजी का गर्भगृह मंदिर। दूसरा, 70 हजार वर्गफीट क्षेत्र में फैला खूबसूरत गार्डन, जिसमें कर्नाटक से 1 हजार विशेष किस्म के पौधे लगाए। अलग हरतिमा पट्टी विकसित की। तीसरा, 3 विशाल भोजनशालाएं, जिनमें हजारों श्रद्धालु प्रसादी ले सकते हैं। चौथा, बाहर से आने वाले भक्तों के लिए विश्रामगृह। मंदिर के एक ओर बावड़ी का पुनर्निमाण कर इसके आगे एक यज्ञशाला बनाई। यहां राम दरबार व शिव मंदिर भी है। मंदिर परिसर में प्रार्थना स्थल, रामायण पाठ स्थल व साधना स्थल बनाए गए। यहां के बगीचे में सिंचाई के लिए वाटर फाल सिस्टम है, जिसमें 4 छतरियों पर पानी की बूंदें मयूर नृत्य की छटा बिखेरती है। चिल्ड्रन पार्क में आस्टेलियन व स्केलन घास पर झूले-चकरी लगे हैं। 500 से अधिक वाहन क्षमता का पर्किंग जोन है। मंदिर में रेन वाटर सिस्टम लगाकर इसे जल व पर्यावरण संरक्षण का मॉडल बनाया।