सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा वरिष्ठ पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर पुलिस जुल्म का मामला

0
805

नई दिल्ली। बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया ने सोमवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को लेटर लिखकर अपील की है कि रिपब्लिक टीवी एडिटर अर्नब गोस्वामी के मामले में सर्वोच्च अदालत मूलभूत मानवाधिकारों के खुले उल्लंघन का संज्ञान ले और महाराष्ट्र सरकार व मुंबई पुलिस की ओर से न्याय को पहुंचाए जा रहे आघात पर रोक लगाई जाए।

भाटिया ने अपने खत में कहा है कि महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस की ओर से अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी और हिरासत ”साफ तौर पर असंवैधानिक, स्पष्ट रूप से अवैध, सत्ता के दुरुपयोग का टेक्स्टबुक केस है।” भाटिया ने कहा, ”रिपब्लिक मीडिया और इसके एडिटर को अपना काम करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है और अपमानित किया जा रहा है। पालघर में साधुओं की हत्या, सुशांत सिंह राजपूत केस और अन्य मामलों में महाराष्ट्र सरकार से कठिन सवाल पूछने की वजह से उन्हें सजा दी रही है।”

बीजेपी नेता ने लेटर में कहा है कि रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के मैनेजिंग डायरेक्टर अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी सीधे तौर पर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ, मीडिया पर सीधा प्रहार है। उन्होंने चीफ जस्टिस से कहा है, ”सत्ता के दुरुपयोग के दूसरे उदाहरण में मुंबई पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए टीआरपी स्कैम में रिपब्लिक टीवी पर झूठे आरोप लगाए। एक अन्य मामले में मुंबई पुलिस ने कानून की नियत प्रक्रिया की अवहेलना की और 2018 के बंद हो चुके सुसाइड केस को खोल दिया गया और अवैध तरीके से अर्नब गोस्वामी को 4 नवंबर 2020 की सुबह उनके घर से गिरफ्तार कर लिया गया।”

मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए भाटिया ने कहा कि गोस्वामी को रविवार को अचानक अलीबाग क्वारंटाइन सेंटर से तालोजा जेल शिफ्ट कर दिया गया। जिस वैन से उन्हें ले जाया गया उसकी खिड़कियों को ब्लैक स्क्रीन से कवर कर दिया गया था। उन्हें जिंदगी की रक्षा के लिए चिल्लाते सुना गया। उन्होंने कहा कि उन्हें पीटा जा रहा है। उन्होंने कहा कि गोस्वामी चिल्ला रहे थे कि जेल में उनकी जिंदगी को खतरा है।