नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने एक महत्वपूर्ण जीत हासिल की है। भारतीय राजनयिक विदिशा मैत्रा को जनरल असेंबली के सहायक अंग प्रशासनिक और बजटीय प्रश्न (एसीएबीक्यू) पर संयुक्त राष्ट्र सलाहकार समिति के लिए चुना गया है। मैत्रा ने 126 वोट हासिल किए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को केवल 64 वोट मिले। 193 सदस्यीय महासभा सलाहकार समिति के सदस्यों की नियुक्ति करती है। सदस्यों का चयन व्यापक भौगोलिक प्रतिनिधित्व, व्यक्तिगत योग्यता और अनुभव के आधार पर किया जाता है।
यह चुनाव काफी कड़ा माना जा रहा था, लेकिन मैत्रा ने भारत की कूटनीतिक ताकत के बूते 126 यूएन सदस्यों का समर्थन हासिल कर लिया। विदिशा जिस पोस्ट के लिए चुनी गई हैं, वह एशिया पैसेफिक ग्रुप में अकेला पद है। 64 लोगों ने विदिशा के प्रतिद्वंदी इराक के अली मोहम्मद फेक अल-दबग को वोट डाला।
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति की तरफ से ट्विटर पर एक वीडियो क्लिप पोस्ट कर विदिशा की नियुक्ति के बारे में जानकारी दी। सन् 1946 में जब से इस कमेटी का गठन हुआ है, तब से ही भारत इसका सदस्य है। इस कमेटी को यूएन की सबसे प्रतिष्ठित कमेटी माना जाता है क्योंकि यह संगठन के वित्तीय और बजट से जुड़े मामलों को देखती है। मैत्रा एशिया-प्रशांत राज्यों के समूह के दो नामांकित उम्मीदवारों में से एक थीं। यह जीत ऐसे वक्त मिली है, जब भारत जनवरी 2021 से शुरू होने वाले दो साल के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गैर-स्थायी सदस्य चुना जा चुका है।
विदिशा मैत्रा भारत की पहली राजनयिक बनी थीं, जिन्होंने पिछली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का पूरा नाम लिया था। विदिशा ने राइट टू रिप्लाई के तहत इमरान खान का नाम इमरान खान नियाजी के तौर पर लिया। उन्होंने इमरान को याद दिलाया था कि उनके देश की असलियत क्या है। इमरान को इस तरह से संबोधित करने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर समेत तमाम लोगों ने विदिशा की तारीफ की थी।
लोगों की मानें तो यह एक बहुत बड़ा राजनयिक फैसला था, जो न सिर्फ विदिशा बल्कि भारत की भी एक बोल्ड छवि को सामने लेकर आया है। यूएन में भारत की युवा डिप्लोमैट विदेश सेवा में यानी इंडियन फॉरेन सर्विस ऑफिसर हैं। साल 2008 में उन्होंने परीक्षा पास की और साल 2009 में उन्हें विदेश मंत्रालय में बेस्ट ट्रेनी ऑफिसर का अवॉर्ड भी हासिल किया था। विदिशा ने सिविल सर्विसेज परीक्षा में पूरे देश में 39वीं रैंक हासिल की थी। वह यूएन में भारत की फर्स्ट सेक्रेटरी रह चुकी हैं।