मुम्बई । केन्द्र सरकार ने घरेलू बाजार में दाल-दलहन के ऊंचे दाम को उचित स्तर पर रखने के लिए आयात का सहारा लेना शुरू कर दिया है। इसके तहत 4 लाख टन अरहर एवं 1.50 लाख टन उड़द के आयात हेतु मिलर्स-प्रोसेसर्स को परमिट जारी किया जा रहा है। अरहर का आयात 31 दिसम्बर 2020 तक और उड़द का आयात 31 मार्च 2021 तक करने की स्वीकृति प्रदान की गई है।
अब मसूर पर आयात शुल्क में हुई कटौती की वैधता का समय भी 31 अक्टूबर से बढ़ाकर 31 दिसम्बर 2020 नियत किया गया है। सामान्यत: मसूर पर 30 प्रतिशत का आयात शुल्क लगता है मगर इसे घटाकर 10 प्रतिशत नियत किया गया है। मसूर के आयात पर कोई मात्रात्मक प्रतिबंध लागू नहीं है।
आमतौर पर विदेशों से दलहनों का आयात होने पर घरेलू प्रभाग में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने तथा कीमतों में नरमी आने की संभावना रहती है। लेकिन इस वार परिस्थिति कुछ भिन्न नजर आ रही है। अरहर, मूंग, उड़द, मसूर एवं चना जैसे महत्वपूर्ण दलहनों का बाजार भाव अभी सरकारी समर्थन मूल्य से ऊपर चल रहा है। सरकार ने बाजार पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए काफी सोच-समझकर दलहनों के आयात की अनुमति दी है।
इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि चालू खरीफ सीजन में प्रमुख दलहनी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से जबरदस्त क्षति पहुंची है इसलिए इसका उत्पादन सरकारी अनुमान से ही नहीं बल्कि सामान्य उम्मीद से भी काफी कम होने की संभावना है। मूंग तथा उड़द की फसल को पहले ही भारी नुकसान हो चुका है जिससे मंडियों में इसकी आवक काफी कम हो रही है।
इसी तरह महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश एवं गुजरात सहित अन्य प्रांतों में अरहर (तुवर) की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है जो प्रांतीय सरकारों के आंकड़ों से पता चलता है। कर्नाटक में तो अरहर का उत्पादन गत वर्ष के 11 लाख से करीब 34 प्रतिशत लुढ़ककर इस बार 7.65 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया गया है।
कहने का आशय यह है कि दलहन बाजार को इस बार घरेलू फसल का जोरदार सहारा (बैक अप) नहीं मिल सकेगा और न ही पिछला स्टॉक लम्बा-चौड़ा है। आयात की मात्रा भी घरेलू मांग एवं खपत की तुलना में बहुत कम है। एक मुश्त भारी आयात नहीं होना है इसलिए बाजार पर जोरदार दबाव नहीं पड़ेगा।
म्यांमार में अरहर तथा उड़द का भाव काफी उछल गया है इसलिए भारतीय मिलर्स इसे मंगाने में जल्दबाजी नहीं दिखाएंगे। अफ्रीकी देशों से नियमित अंतराल पर अरहर का आयात जारी रह सकता है मगर वहां स्टॉक सीमित है। केवल मसूर के आयात में भारी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।