इंदौर । मंडियों में अपेक्षाकृत कम आवक होने तथा क्रशिंग- प्रोसेसिंग इकाइयों के साथ-साथ स्टाकिस्टों की भारी लिवाली जारी रहने से सोयाबीन का बाजार भाव सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है जबकि निकट भविष्य में इसमें तेजी मजबूती का रुख कायम रहने की उम्मीद है।
लम्बे अरसे के बाद यह पहला अवसर है जबकि नई फसल की आपूर्ति के पीक सीजन में सोयाबीन का दाम सरकारी समर्थन मूल्य से इतना ऊपर उठा है। सनद रहे कि सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2019-20 के 3710 रुपए प्रति क्विंटल से 170 रुपए बढ़ाकर 2020-21 सीजन के लिए 3880 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है।
इससे पूर्व 2018-19 सीजन में समर्थन मूल्य करीब 3400 (3399) रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया था। इस तरह महज दो वर्षों के अंदर सोयाबीन के समर्थन मूल्य में 480 रुपए प्रति क्विंटल का भारी इजाफा हो गया।
हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि सोयाबीन का घरेलू बिजाई क्षेत्र 2020-21 के खरीफ सीजन में बढ़कर 121.20 लाख हेक्टेयर की ऊंचाई पर पहुंच गया जो 2019-20 सीजन के उत्पादन क्षेत्र 113.40 लाख हेक्टेयर से 7.80 लाख हेक्टेयर या 6.90 प्रतिशत तथा सामान्य औसत क्षेत्रफल 110.30 लाख हेक्टेयर से 10.90 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।
इसके आधार पर उत्पादन में अच्छी बढ़ोत्तरी होनी चाहिए थी और कृषि मंत्रालय ने इसका उत्पादन बढ़कर 135.80 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंचने का अनुसार भी लगाया है लेकिन उसने भारी वर्षा, बाढ़, खेतों में जल जमाव तथा कीड़ों-रोगों के प्रकोप से खासकर मध्य प्रदेश एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में सोयाबीन की फसल को हुई क्षति को नजर अंदाज कर दिया। हो सकता है कि कृषि मंत्रालय इस वास्तविकता को महसूस करते हुए अपने आगामी अनुमान में सोयाबीन के उत्पादन आंकड़े को संशोधित कर दें।
उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि सोयाबीन का वास्तविक उत्पादन 100-105 लाख टन से ज्यादा नहीं होगा। कुछ विश्लेषक तो महज 80-85 लाख टन तथा कुछ अन्य समीक्षक 85-90 लाख टन के बीच उत्पादन का अनुमान लगा रहे है।
इंदौर स्थित संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने 2019-20 सीजन के दौरान सोयाबीन का घरेलू उत्पादन 93.06 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया है जो 2018-19 सीजन के उत्पादन 109.33 लाख टन से करीब 15 प्रतिशत कम है। सोयाबीन का बाजार भाव 4000 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर है जबकि कुछ प्रेक्षक इसके 5000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंचने की संभावना व्यक्त कर रहे है।