जीएम फसलों से पर्यावरण को नुकसान, नहीं दी जाए अनुमति

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भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधिमंडल केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री से मिला

कोटा। जीएम फसलों की परीक्षण को अनुमति नहीं दिए जाने की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ का प्रतिनिधिमंडल केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मिला। भारतीय किसान संघ के प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय पर्यावरण, वन व जलवायु मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से बीटी बैंगन के जेनेटिकली मोडीफाइड परीक्षणों के लिए अनुमति नहीं देने की मांग को लेकर मुलाकात की।

भारतीय किसान संघ के संभागीय प्रवक्ता आशीष मेहता ने बताया कि भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति द्वारा हाल ही में देश के 8 राज्यों में जेनेटिक परिवर्तित (जी.एम.) फसल बीटी बैंगन के द्वितीय परीक्षण को करने की अनुमति दी है। केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जीएम फसलों को अनुमति नहीं दिए जाने के संबंध में आश्वासन दिया है।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने बताया कि जीएम परीक्षण से पर्यावरण प्रदूषण, जैव विविधता को खतरा, पशु एवं मानव स्वास्थ्य, उत्पादकता, बाजार एकाधिकार आदि जैसे कई गंभीर खतरे हैं। जीएम फसलों के ऐसे परीक्षणों की अनुमति देने से पहले विश्लेषण करने की आवश्यकता है, जो कि अभी भी लंबित हैं। चैधरी ने बताया कि अधिकांश प्रतिष्ठित संस्थानों में, संसदीय स्थायी समिति, सर्वोच्च न्यायालय की तकनीकी विशेषज्ञ समिति, प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों के विचार, कुछ कृषि प्रधान राज्यों के संबंधित अधिकारी आदि ने अपनी आशंका व्यक्त की है।

ऐसे में परीक्षण की अनुमति देना उचित नहीं होगा। जबकि कई राज्यों ने पहले ही जीएम खाद्य फसलों के परीक्षणों पर प्रतिबंध लगा दिया है। अभी देश कोरोना महामारी के संकट से जूझ रहा है। ऐसे समय, संबधित घटकों को अंधेरे में रखते हुए, बिना किसी से चर्चा करते हुए जीईएसी द्वारा यह निर्णय लिया गया, जिसका किसान संघ ने विरोध किया है। प्रतिनिधिमंडल में अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चैधरी, अखिल भारतीय उपाध्यक्ष प्रभाकर केलकर व अखिल भारतीय मंत्री साई रेड्डी उपस्थित रहे।