नई दिल्ली। रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज कहा कि लोन रिस्ट्रक्चर करने के लिए किए गए नए उपायों से नकदी की किल्लत से जूझ रही कंपनियों की समस्या दूर होगी और इससे इकॉनमी को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी। दास ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘एक ओर जहां बैंकों की हेल्थ बहुत अहम हैं, वहीं दूसरी ओर कोविड के कारण कंपनियों पर भारी दबाव है।’
उन्होंने कहा कि आरबीआई का यह प्लान लोन मोरेटोरियम की जगह लेगा जो इसी महीने खत्म हो रहा है। दास ने कहा को मोरेटोरियम लॉकडाउन के लिए एक फौरी समाधान था और समस्या का स्थाई हल नहीं है। कोरोनावायरस संक्रमण और इससे जुड़े लॉकडाउन के कारण इकॉनमी बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऐसे में सरकार बेहाल इकॉनमी को सहारा देना चाहती है लेकिन साथ ही वह फाइनेंशियल सेक्टर को भी कमजोर नहीं करना चाहती है।
बैंकों का एनपीए दो दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने के करीब है। इकॉनमी को पटरी पर लाने के लिए बैंक क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इंडियन इकॉनमी के चार दशक से भी अधिक समय में पहली बार निगेटिव ग्रोथ रेट की आशंका जताई जा रही है। कोरोना संक्रमण से पहले ही बैंकों का फंसा कर्ज बहुत ज्यादा बढ़ गया था।
नए प्लान का फायदा
दास ने कहा, ‘हम कोशिश कर रहे हैं कि कंपनियों ने जो कर्ज ले रखा है, उस पर उन्हें बैंकों के जरिए कुछ नियामकीय मदद मिल जाए। इससे कंपनियों को अपना कामकाज पटरी पर लाने में मदद मिलेगी, नौकरियां बची रहेंगी और इससे इकॉनमी पटरी पर आएगी।’ मोरेटोरियम की अवधि 31 अगस्त को खत्म हो रही है। ऐसी आशंका है कि इसके बाद फंसे कर्ज की समस्या और विकराल हो सकती है। इस बारे में दास ने कहा कि नई योजना के तहत बैंक मोरेटोरियम को बढ़ा सकते हैं या कर्जदारों को नया मोरेटोरियम दे सकते हैं।
कोरोना से जंग जीतेंगे
दास ने कहा कि कंपनियों की पात्रता की शर्तें 6 सितंबर को घोषित की जाएंगी। इससे पहले एक एक्सपर्ट पैनल फाइनेंशियल पैरामीटर्स पर विचार करेगा और बैंक उन अकाउंट्स की पहचान करेंगे जिन्हें वे रिस्ट्रक्चर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में कामयाब होंगे। मुझे पता नहीं कि इसमें कितना समय लगेगा लेकिन इसमें कोई दोराय नहीं है कि हम कोविड के खिलाफ लड़ाई में विजयी होंगे।’