मुंबई। ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में गिरावट के कारण जून में थोक मूल्य आधारित महंगाई दर में 1.81 फीसदी की गिरावट आई है। हालांकि खाद्य महंगाई दर में इस दौरान वृद्धि देखी गई है। मई में अपस्फीति (deflation) की दर 3.21 प्रतिशत थी।
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मासिक थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index) के आधार पर मुद्रास्फीति की वार्षिक दर जून 2020 के महीने में -1.81 प्रतिशत प्रोविजनल रही। जबकि पिछले वर्ष इसी महीने के दौरान यह 2.02 प्रतिशत थी।
जून के दौरान खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 2.04 प्रतिशत थी, जबकि मई में यह 1.13 प्रतिशत थी। ईंधन और पावर के क्षेत्र में डिफ्लेशन जून में 13.60 प्रतिशत था, जबकि पिछले महीने में यह 19.83 प्रतिशत था।अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत थी
हालांकि, मैन्युफैक्चर्ड उत्पादों में जून में 0.08 प्रतिशत की मुद्रास्फीति देखी गई।
मई में अपस्फीति 0.42 प्रतिशत थी। मंत्रालय ने कहा कि इस बीच, अप्रैल का आखिरी थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में खाद्य मुद्रास्फीति बारिश से व्यवधानों के कारण जून में 1.13 प्रतिशत से बढ़कर 2.04 प्रतिशत हो गई। यह अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के साथ उलटी दिशा में जा रहा है। मैन्युफैक्चर्ड खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति की दर 4.46 प्रतिशत की तुलना में 5.05 प्रतिशत दर्ज की गई।
खाद्य पदार्थों की कीमतों का दबाव
हालांकि खुदरा खाद्य पदार्थों की कीमतों का दबाव काफी अधिक था। हालांकि जून में मुद्रास्फीति की दर मई महीने के 9.20 प्रतिशत से घटकर 7.87 प्रतिशत रह गई। एक साथ, दोनों प्रकार के खाद्य पदार्थों का थोक मूल्य सूचकांक का 24 प्रतिशत से थोड़ा कम है।
टमाटर, आलू और धान ने प्राथमिक वस्तुओं (अनप्रोसेस्ड फ़ूड) में खाद्य मुद्रास्फीति को पीछे धकेल दिया, जबकि पशु और वनस्पति तेल और फैट ने निर्मित खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति को बढ़ाया। फ्यूल और पावर कैटेगरी में जून में 13.60 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यह मई महीने के 19.83 प्रतिशत से कम है। पेट्रोल, डीजल, एलपीजी जैसी श्रेणी की ज्यादातर वस्तुओं में कीमतों में गिरावट दिखाई दी। हालांकि यह दर मई की तुलना में कम है।