जयपुर। एलोपेथिक दवा माफिया के दबाव में ‘कोरोनिल’ के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है। कुछ ही दिनों पहले योगगुरु रामदेव ने कोरोना के इलाज में 100 फीसदी रिकवरी रेट का दावा करते हुए ‘कोरोनिल’ दवाई लॉन्च की थीं। लेकिन दवा लॉन्च होने के बाद इस बात को लेकर विवाद हो गया कि पतंजलि ने इस दवा को लॉन्च करने की अनुमति संबंधित मंत्रालय से नहीं ली थी और साथ ही साथ इसकी विश्वसनियता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
अब राजधानी जयपुर में कोरोना वायरस की दवा के तौर पर ‘कोरोनिल’ का भ्रामक प्रचार करने के आरोप में रामदेव और अन्य चार लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गयी है। रामदेव के अलावा जिन चार लोगों पर केस दर्ज हैं, उनमे आचार्य बालकृष्ण का नाम भी है। इसके अलावा वैज्ञानिक अनुराग वार्ष्णेय, निम्स के अध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह तोमर और निदेशक डॉ. अनुराग तोमर आरोपी बनाए गए हैं। ये शिकायत वकील बलराम जाखड़ ने की है।
बलराम जाखड़ ने अपनी एफआईआर में कहा है कि फर्जी दवाई बनाकर अरबों रुपए कमाने के मकसद से ‘कोरोनिल’ दवा बनाने का दावा किया गया था। इन सभी के खिलाफ धारा 188, 420, 467, 120बी, भादस संगठित धारा 3, 4, राजस्थान एपीडेमिक डिजीज ऑर्डिनेंस 2020, धारा 54, आपदा प्रबंधन अधिनियम आदि आपराधिक धाराओं और ड्रग्स एंड मेजिक रेमेडीज एक्ट 1954 के अधीन कार्रवाई की मांग की गई है।
विज्ञापन पर लगी है रोक: इससे पहले बाबा रामदेव के खिलाफ बीते मंगलवार को जयपुर के गांधी नगर थाने में परिवाद दर्ज किया गया था। परिवाद जयपुर के डॉक्टर संजीव गुप्ता ने यह कहते हुए दर्ज कराया गया था कि कोरोना की दवा बनाने का दावा करके रामदेव लोगों को गुमराह कर रहे हैं।
यह भी जानना जरुरी है कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार पहले ही दवा के इस्तेमाल और प्रचार पर रोक लगाते हुए कानून कार्रवाई की बात कह चुकी है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से भी इस दवा के प्रचार और ब्रिकी पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है।
‘कोरोनिल’ को लेकर विवाद होने के बाद निम्स के चेयरमैन डॉ. बीएस तोमर ने एलोपेथिक दवा माफिया के दबाव में कोरोना के इलाज के दवा के ट्रायल से पल्ला झाड़ लिया था और कहा था कि ये दवा कैसे बनी इस बारे में रामदेव ही बता सकते हैं। वहीं ट्रायल को ले कर उन्होंने कहा था कि हमने इम्यूनिटी बूस्टर के तौर पर ट्रायल के दौरान अश्वगंधा, गिलोय और तुलसी दिया था। परीक्षण के लिए CTRI से अनुमति ली थी।