मसाला निर्माताओं की ग्राहकी से लहसुन 100 रुपये किलो बिकने की उम्मीद

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कोटा। उत्पादन में कमी और मसाला निर्माताओं की मांग से लहसुन में जल्द ही 100 रुपये किलो के भाव के उम्मीद है। चाइना पर प्रतिबंध के कारण पूर्वी राज्य और पश्चिम बंगाल में भारत का ही लहसुन दिख रहा है । एक अनुमान के मुताबिक भारत में 30% लहसुन चाइना से आयात होता था जो अब बंद हो चुका है।

यह राज्य भारत का ही लहसुन खा रहे हैं। इसलिए पिछले कुछ दिनों से साउथ एवं पूर्वी राज्यों की मांग बड़ी मात्रा में निकली है। इन कारणों के चलते लहसुन बाजार में तेजी की शुरुआत हुई। पहले यह अंदाजा लगाया जा रहा था की लहसुन की बुवाई डेढ़ गुना के करीब करीब है, लेकिन उत्पादन जैसे ही बाजार में आया वह सामान्य ही निकल के आया। कुछ व्यापारियों का मानना है कि 80% उत्पादन ही हुआ है। बाजार में नया माल के आते ही बाजार के ऊंचे होने का फायदा उठाने के लिए ज्यादातर किसानों ने अपना माल जल्दी से पका कर बाजार में बेच दिया। यह कुल उत्पादन के 15 या 20% तक बिक गया था।

बाद में lockdown आते ही कुछ व्यापारियों का यह अनुमान था कि तेजी से माल मंडियों में आएगा और lockdown की वजह से ज्यादा खपत नहीं होगी । इसलिए बाजार धड़ाम से गिरेंगे। लेकिन लॉकडाउन के दरमियान मंडिया बंद होने के बावजूद गांव से माल की सप्लाई बहुत बड़ी मात्रा में चालू रही। इसकी वजह से 15 से 20% माल 50-60 दिनों में निकल गया। किसान लोगों को भी उत्पादन कम होने का अंदाज था। इसलिए lockdown खुलते वह एक साथ माल लेकर मंडियों में नहीं आए।

आवक लगातार कमजोर होती चली गई जिसकी वजह से एक अच्छी तेजी का लहसुन में वातावरण बना। पिछले 15 दिनों में लहसुन के बाजारों में एक नई तरह से तेजी की शुरुआत हुई। पिछले 15 दिनों में कुल उत्पादन का 10- 15% माल निकला है। वह रोज दो-तीन रुपए की तेजी के साथ निकला है।

लहसुन की तेजी के मुख्य कारण

  1. उत्पादन उम्मीद से कम आना
  2. पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम उत्पादन
  3. पिछले साल के अच्छे भाव के चलते स्टोक्का एकदम से अभाव

इतनी मात्रा में माल निकल चुका है

  • मंदसौर मंडी 60%
  • नीमच मंडी 55%
  • कोटा मंडी 50%
  • जावरा मंडी 45%
  • इंदौर मंडी 40%
  • छीपाबड़ोद मंडी 60%
  • निंबाहेड़ा मंडी 60%
  • रतलाम मंडी 55%
  • सादड़ी मंडी 50%
  • महाराष्ट्र की मंडियां 50%
  • गुजरात की मंडियां 60%

भारत में 50% से ज्यादा माल नहीं
इस तरह हमारी रिपोर्ट के अनुसार अब पूरे भारत में 50% से माल ज्यादा नहीं बचा है। जिनमें 20% माल तो बीज के लिए सुरक्षित रखा जाएगा बाकी के 30% माल में अभी स्टॉकिस्ट के पास माल नहीं है। पूरे देश में होटल धीरे-धीरे खुल रहे हैं। एक्सपोर्ट के आर्डर निकल चुके हैं और सबसे बड़ी बात भारत की इतनी बड़ी आबादी को नए लहसुन फरवरी तक आने तक पूरे 8 महीने इतने ही लहसुन में निकालने हैं ।

लहसुन जल्द ही 100 रुपये किलो बिकेगा
इन्हीं बातों को लेकर अग्रणी व्यापारी लोग लहसुन में जल्द ही 100 रुपये के भाव के उम्मीद लगाए हुए हैं। कच्चे लहसुन के यह हालत ने डिहाइड्रेट लहसुन बनाने की सभी की सारी उम्मीदें पर पानी फेर दिया है। क्योंकि इस परिस्थिति में डिहाइड्रेट लहसुन बनाना नामुमकिन के बराबर है। वही डिहाइड्रेट लहसुन का 18000 टन के ऊपर का स्टॉक नहीं है और अगले साल भी अगर लहसुन नीचे जाएगा तो ही जुलाई या अगस्त तक आ सकता है। इन्वेंटरों की मजबूत पकड़ने फिर से यह साबित कर दिया की डिहाइड्रेट लहसुन में नीचे में माल फेंकना बड़ी नासमझी होती है।

मसाला निर्माताओं की मांग
कुछ व्यापारी अपने हित के लिए 60 रुपये तक बाजार को ले गए थे, लेकिन इन्वेस्टर ने थोड़ी समझ दिखाएं और डट के खड़े हो गए तो यह भाव 85 तक पहुंच गया। आज की तारीख में भी करीब करीब तीन चार हजार टन का ऑर्डर 15 जुलाई के पहले एक्सपोर्ट करना है। इसलिए इन्वेस्टर जितना माल पकड़ के रखेंगे उतना ही उसको फायदा मिलेगा। डोमेस्टिक मार्केट में मसाला ओके मैन्युफैक्चर की ओर से लगातार डिहाइड्रेट लहसुन के लिए मांग बनी हुई है । वहीं साउथ इंडिया की ओर यह लहसुन काफी मात्रा में जा रहा है। ऐसी ही खपत अगर चलती रही तो 3 महीने में डिहाइड्रेट लहसुन का सारा स्टॉक खत्म हो जाएगा ।