नई दिल्ली। ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के आयोजन की सैकड़ों साल की परंपरा जारी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कुछ शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे दी है। इसी के साथ कल मंगलवार को रथ यात्रा निकलेगी।
तीन जजों की पीठ ने सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि रथ यात्रा का आयोजन मंदिर समिति, राज्य और केंद्र सरकार के आपसी सामंजस्य के साथ होगा। इस दौरान स्वास्थ्य मुद्दे को लेकर कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। साथ ही अदालत ने कहा है कि अगर राज्य सरकार को लगता है कि स्थिति उसके नियंत्रण से बाहर जा रही है, तो वह इस पर रोक लगा सकता है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की एकल पीठ ने 18 जून को सुनवाई करते हुए रथ यात्रा के आयोजन को मंजूरी नहीं दी थी। इसके बाद दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस एस.ए.बोबडे ने तीन जजों की पीठ को यह मामला सौंपा था। चीफ जस्टिस ने हालांकि स्पष्ट कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट सिर्फ पुरी में रथ यात्रा को लेकर ही सुनवाई करेगा, ओडिशा में अन्य जगहों की रथ यात्राओं को लेकर नहीं।
इससे पहले आज केंद्र ने उच्चतम न्यायालय में पुरी रथ यात्रा मामले का उल्लेख करते हुए कहा था कि लोगों की भागीदारी के बिना इसके आयोजन की अनुमति दी जा सकती है। ओडिशा सरकार ने कुछ प्रतिबंधों के साथ पुरी रथ यात्रा के आयोजन के उच्चतम न्यायालय के मत का समर्थन किया।
अदालत में चार याचिकाएं दाखिल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा रथ यात्रा की अनुमति नहीं मिलने के फैसले पर फिर से विचार करने के लिए चार याचिकाएं डाली गई थीं। शीर्ष अदालत ने 18 जून को सुनवाई के दौरान कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के हित को ध्यान में रखते हुए इस साल पुरी में रथ यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि अगर हम इस साल रथ यात्रा आयोजित होने देते तो भगवान जगन्नाथ हमें माफ नहीं करते।
मुगलकाल में रुकी थी यात्रा
पिछली बार मुगलकाल में पुरी में रथ यात्रा को रोका गया था। अगर इस बार इसका आयोजन नहीं होता तो करीब 300 साल में दूसरी बार ऐसा होता। भुवनेश्वर के एनजीओ ओडिशा विकास परिषद ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर कर कहा था कि रथयात्रा से कोरोना फैलने का खतरा रहेगा।