सूर्य ग्रहण नंगी आंखों से देखने से छिन सकती है रोशनी

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कोटा। सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) उस घटना को कहते हैं जब पृथ्वी के एक हिस्से पर चंद्रमा की छाया पड़ती है। ऐसा होने से सूरज की रोशनी पूरी या आंशिक तौर पर पृथ्वी तक नहीं आ पाती। इस दौरान सूरज, चांद और पृथ्वी एक सीध में आ जाते हैं। पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूरज पूरी तरह से चंद्रमा के पीछे छिप जाता है वहीं आंशिक और ऐनुलर (छल्लेदार अंगूठी की तरह) ग्रहण में सूर्य का एक भाग छिपता है।

हर सूर्य ग्रहण के दौरान हमें रिंग ऑफ फायर नहीं दिखाई देती और जिन सूर्य ग्रहणों में हमें रिंग ऑफ फायर दिखती है उन्हें ऐनुलर सोलर इक्लिप्स कहते हैं। ऐसे ग्रहण के दौरान सूरज के बीच के हिस्से को चंद्रमा इस तरह से ढंकता है कि इसके बाहरी किनारे अंगूठी की तरह दिखाई देते हैं। दूर से देखने पर ऐसा लगता है कि चंद्रमा के चारों ओर आग का छल्ला (रिंग ऑफ फायर) है। हालांकि जरूरी नहीं ऐनुलर इक्लिप्स के दौरान ये रिंग ऑफ फायर हर जगह से दिखाई दे। यही वजह है कि ऐनुलर या छल्लेदार सूर्य ग्रहण आंशिक सूर्य ग्रहण की तरह भी दिख सकता है।

आंखों को नुकसान
सूर्य ग्रहण के दौरान अगर आप नंगी आंखों से आसमान की ओर देखे हैं तो सूरज की इनफ्रारेड और अल्ट्रावॉयलेट किरणें आंखों के रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इस दौरान थोड़ी देर के लिए भी सीधे सूरज की ओर नहीं देखना चाहिए। भले ही सूरज की 99 फीसदी सतह चांद से ढंकी हो लेकिन बाकी रोशनी काफी तेज होती है जो आंखों को नुकसान पहुंचा सकती है।