वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरी मंदी : विश्व बैंक

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नई दिल्ली। विश्व बैंक ने सोमवार को कहा कि कोरोनावायरस के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे गहरी मंदी आएगी। इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.2 फीसदी गिरावट आ जाएगी। विश्व बैंक के प्रेसिडेंट डेविड मलपास ने सोमवार को जारी ग्लोबल इकॉनोमिक प्रॉस्पैक्ट की भूमिका में कहा कि 1870 के बाद यह पहला मौका होगा, जब महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी आएगी।

विश्व बैंक ने कहा कि चालू कारोबारी साल में भारतीय अर्थव्यवसथा में 3.2 फीसदी गिरावट आएगी। कारोबारी साल 2017 में भारत की विकास दर 7 फीसदी थी। 2018 में यह घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई। कारोबारी साल 2019-2020 में यह 4.2 फीसदी रही। कोरोनावायरस और लॉकडाउन का असली आर्थिक असर चालू कारोबारी साल में दिखेगा

दक्षिण एशिया की इकॉनोमी 2.7 फीसदी घटेगी
भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट के कारण इस साल दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था में 2.7 फीसदी गिरावट आएगी। पाकिस्तान की इकॉनोमी 2.6 फीसदी और अफगानिस्तान की इकॉनोमी 5.5 फीसदी घट जाएगी। बांग्लादेश की विकास दर 2019-20 में घटकर 1.6 फीसदी रह जाएगी। नेपाल की विकास दर इस दौरान घटकर 1.8 फीसदी रह जाएगी।

करोड़ों लोग भीषण गरीबी में फंसेंगे
विश्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक प्रति व्यक्ति आय में 3.6 फीसदी गिरावट आने की आशंका है। इसके कारण इस साल करोड़ों लोग भीषण गरीबी में फंस जाएंगे। जिन देशों में महामारी का सबसे ज्यादा प्रसार होगा और जहां की अर्थव्यवस्था वैश्विक व्यापार, पर्यटन, कमोडिटी निर्यात और एक्सटर्नल फाइनेंसिंग पर ज्यादा निर्भर होगी, वहां गरीबी सबसे ज्यादा बढ़ेगी।

1870 के बाद 14 वैश्विक मंदी
वैश्विक अर्थव्यवस्था में 1870 के बाद 14 बार मंदी आई है। ये मंदी 1876, 1885, 1893, 1908, 1914, 1917-21, 1930-32, 1938, 1945-46, 1975, 1982, 1991, 2009 और 2020 में आई हैं। महामारी के कारण वैश्विक पर कैपिटा जीडीपी में 6.2 फीसदी गिरावट आएगी। इस आंकड़े के साथ यह 1945-46 के बाद सबसे गहरी मंदी होगी। साथ ही आज की मंदी वैश्विक वित्तीय संकट के दिनों की मंदी के मुकाबले दोगुनी गहरी होगी।

1870 के बाद अब तक का सबसे व्यापक असर
रिपोर्ट के मुताबिक 1870 के बाद अर्थव्यवस्था के सबसे बड़े हिस्से में सालाना पर कैपिटा जीडीपी में गिरावट आएगी। इस साल इकॉनोमी का 90 फीसदी हिस्सा मंदी से प्रभावित होगा। 1930-32 में अर्थव्यवस्था का करीब 85 फीसदी हिस्सा मंदी की चपेट में था।