नई दिल्ली। स्कूलों को खोलने को लेकर केंद्र की तरह राज्य भी जल्दबाजी में नहीं हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सोमवार को बुलाई गई बैठक में ज्यादातर राज्यों ने स्कूलों के खोलने की योजना को अगले दो महीने तक और स्थगित रखने का सुझाव दिया है। तकरीबन सत्तर फीसद स्कूल को क्वारेंटीन सेंटर बनाने का बात भी बताई। इनमें करीब दौ सौ केंद्रीय विद्यालय भी शामिल हैं। ऐसे में मंत्रालय ने संकेत दिए है कि स्कूलों के खोलने को लेकर कोई भी फैसला 15 जुलाई के बाद ही लिया जाएगा।
अनलॉक-1 के बाद कोराना संक्रमण की स्थिति को देखते हुए अनलॉक के अगले चरण की तैयारी की जाएगी, जिसकी फिलहाल 15 जुलाई के आसपास समीक्षा होगी। उसके बाद ही स्कूलों, कालेजों और कोचिंग सेंटरों को खोलने का निर्णय हो सकता है। मंत्रालय ने भी राज्यों के साथ चर्चा में साफ किया कि स्कूलों को लेकर कोई भी गाइडलाइन गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा-निर्देशों के बाद ही जारी की जाएगी। इसके बाद ही कोई भी राज्य अपनी स्थिति के आधार पर स्कूलों को खोलने का निर्णय ले सकेंगे।
ऑनलाइन शिक्षा को लेकर राज्यों के साथ मंत्रणा
ऑनलाइन शिक्षा को लेकर भी राज्यों के साथ मंत्रालय ने चर्चा की है। इस दौरान ज्यादातर राज्यों ने इसे लेकर तैयारी तेज करने की जानकारी दी। जबकि कुछ राज्यों ने ऐसे बच्चों के लिए स्कूलों को खोलने की जरूरत बताई, जिसके पास अभी ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ने का कोई माध्यम नहीं है। यानी टीवी, मोबाइल नहीं है।
बच्चों के लिए अलग से चैनल की तैयारी में एनसीईआरटी
मंत्रालय ने इस दौरान केंद्र की ओर से ऑनलाइन शिक्षा को लेकर उठाए जाने वाले कदमों से अवगत कराया। साथ ही बताया कि वह जल्द ही पहली से बारहवीं तक के बच्चों के लिए अलग से एक चैनल शुरू करने जा रहे है। इसकी तैयारी में एनसीईआरटी जुटा हुआ है। इस बीच बिहार की ओर से स्कूलों के खुलने में देरी को देखते हुए केंद्र सरकार से स्कूलों में बच्चों को मिलने वाले मिड-डे मील का कोटा जारी करने का सुझाव दिया। ताकि वह बच्चों के घर तक उन्हें समय से पहुंचा सके।
सुरक्षा पर राज्यों को सतर्क किया:
मंत्रालय ने इस दौरान सभी राज्यों को यह सलाह दी, कि स्कूलों के खोलने का निर्णय जब तक नहीं हो रहा है, तब तक वह स्कूलों में बच्चों को संक्रमण से बचाव से जुड़ी सारी तैयारी जुटा लें। जिसमें हाथ धुलने के लिए एक ऐसा स्थल जहां बच्चे बगैर एक-दूसरे के संपर्क में आए साबुन से हाथ धुल सके। इसके लिए सभी स्कूलों में साबुन अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके अलावा बच्चों को एक दिन छोड़कर स्कूल बुलाने जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई।
कोर्स घटाने पर राज्य सहमत नहीं:
चर्चा में स्कूलों के खुलने में देरी को देखते हुए कुछ राज्यों ने कोर्स को छोटा करने की बात कही, लेकिन ज्यादातर राज्यों ने इसे लेकर असहमति जताई और कहा कि पहले से कोर्स काफी छोटा है। जब हमारे पास समय कम है, तो हमें पढ़ाई के इतर होने वाली बाकी गतिविधियों को बंद रखना चाहिए। जिसमें खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल है।