उज्जैन। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर के पट 8 जून से भक्तों के लिए खोल दिए जाएंगे। प्रतिदिन सुबह 8 से शाम पांच बजे तक श्रद्घालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। गर्भगृह में दर्शनार्थियों का प्रवेश पूरी तरह बंद रहेगा। भक्तों को गणेश मंडपम् से राजाधिराज महाकाल के दर्शन होंगे। नौ जून को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान भी दर्शन के लिए आएंगे। शहर के कालभैरव, मंगलनाथ, हरसिद्धि, चिंतामण गणेश मंदिर भी जल्द खोले जाएंगे। यह निर्णय शुक्रवार को हुई आपदा प्रबंधन समिति की बैठक में लिया गया।
भक्तों को दर्शन के लिए मंदिर के एप व टोलफ्री नंबर पर एडवांस बुकिंग करानी होगी। मंदिर समिति के अनुसार श्रद्धालुओं के अलग-अलग जत्थों को बारी-बारी से प्रवेश दिया जाएगा। प्रत्येक जत्थे में 250 श्रद्धालु शामिल होंगे। दर्शनार्थियों को गेट नं. 1 से फैसिलिटी सेंटर, टनल के रास्ते 6 नंबर गेट से कार्तिकेय मंडपम् में लाया जाएगा। यहां से दर्शनार्थी सीढ़ी के रास्ते गणेश मंडपम् में पहुंच कर भगवान महाकाल के दर्शन करेंगे। पश्चात नंदी हॉल के रैंप से होकर मंदिर के बाहर निकलेंगे।
मंदिर में यह रहेगी व्यवस्था
- श्रद्घालुओं को महाकाल दर्शन के लिए एक दिन पूर्व एडवांस बुकिंग करानी होगी।
- रात्रि नौ से सुबह पांच बजे तक कर्फ्यू के कारण भक्तों को भस्मारती दर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- दर्शनार्थी भगवान महाकाल को जल व पूजन सामग्री अर्पित नहीं कर सकेंगे।
- संक्रमण की आशंका होने से दर्शनार्थियों को घंटी बजाने की अनुमति नहीं होगी।
- पुजारी, पुरोहित अपने यजमानों को पूजन अभिषेक नहीं करा पाएंगे।
- दर्शनार्थियों के लिए केवल एक ही गेट से प्रवेश की व्यवस्था रहेगी।
- पुजारी, पुरोहितों के लिए अलग प्रवेश द्वार रहेगा।
संक्रमण रोकने के लिए यह तैयारी
- शारीरिक दूरी का पालन करने के लिए दर्शनार्थियों के बीच एक मीटर की दूरी रखी जाएगी।
- प्रवेश द्वार पर दर्शनार्थियों के हाथ धोने की व्यवस्था रहेगी।
- दोपहर में 1 घंटे मंदिर बंद रहेगा। सफाई कर्मचारी मंदिर को सैनिटाइज करेंगे।
- दर्शनार्थियों के बीच पर्याप्त दूरी बनी रहे, इसके लिए गोले बनाए जाएंगे।
एक दिन में पांच हजार से अश्रिक को दर्शन कराने की तैयारी
महाकाल मंदिर में नई व्यवस्था लागू करने से पहले शुक्रवार को अधिकारियों और कर्मचारियों ने रिहर्सल किया। ट्रायल के लिए मंदिर कर्मचारियों को दर्शनार्थी बनाया गया था। शारीरिक दूरी के लिए हर एक मीटर पर गोले बनाकर कतार चलाई गई। इस व्यवस्था से एक मिनट में 15 भक्तों ने आसानी से दर्शन किए। बताया जाता है मंदिर खुलने के बाद अफसर प्रतिदिन पांच हजार भक्तों को दर्शन कराने की योजना बना रहे हैं। करीब तीन घंटे चली मॉकड्रिल में अधिकारियों के साथ 40 कर्मचारियों ने भाग लिया।