स्वप्निल जोशी को उत्तर रामायण में ऐसे मिला था कुश का किरदार

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मुंबई। रामानंद सागर की रामायण (Ramayan) ने दूरदर्शन पर टीआरपी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए है। इनमें काम करने वाले कलाकार आज फिर चर्चा में है और खास बात यह है कि उन्हें दर्शकों से इतना प्यार मिल रहा है कि वे सोच भी नहीं सकते हैं। रामायण के बाद उत्तर रामायण (Uttar Ramayan) ने भी टीआरपी के रिकॉर्ड तोड़े।

उत्तर रामायण के में हालिया एपिसोड में भगवान राम से लव-कुश के मिलन ने लोगों की आंखें नम कर दी। उत्तर रामायण (Uttar Ramayan) में कुश का किरदार निभाने वाले स्वप्निल जोशी (Swwapnil Joshi) को भी सोशल मीडिया पर खूब सराहा जा रहा है। वे आज मराठी फिल्म और टीवी के जानेमाने एक्टर है।

यह जानना रोचक है कि एक बेहद मध्यमवर्गीय परिवार के स्वपनिल जोशी को रामानंद सागर के इस शो में काम कैसे मिला। उनके परिवार का कहीं से कहीं तक फिल्मी और टीवी की दुनिया से कहीं भी लेना देना नहीं था। स्वप्निल जोशी ने बताया कि वह भी आम दर्शकों की तरह परिवार के साथ रामानंद सागर की ‘रामायण’ देखते थे। तब वे 7 या 8 साल के थे।

जब रामायण खत्म हुई और पता चला कि उत्तर रामायण भी आएगा जिसमें लव-कुश की कहानी आएगी तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने बताया कि वे गिरगांव में रहते थे। मीडिल क्लास माहौल था। दादी-नानी के पास पला बढ़ा। टीवी नहीं था पूरी बस्ती में एक-दो लोगों के यहां था तो सुबह वहीं जाकर देखते थे। उनकी कॉलोनी में गणेश उत्सव धूम धाम से मनाते थे और वे भी नाटक में हिस्सा लेते थे।

तब 10-12 बच्चे और 50 के लगभग दर्शक होते थे। वे कहते हैं ‘एक बार रामायण में लवणासुर राक्षस का किरदार निभाने वाले विलासराज जी हमारी कॉलोनी में किसी से मिलने आए। जब वे उनसे मिलकर निकल रहे थे तो उनकी नजर मुझ पर पड़ी। किसी ने मेरे पिता मोहन जोशी का नाम बताया और कहा कि स्वप्निल जोशी एक चुलबुला लड़का है। उन्होंने मेरे पिताजी से मिलने की इच्छा जताई।

उन्हें देखकर मैं हक्का बक्का रह गया कि जिस शो को हम टीवी पर देखते थे उनके कलाकार हमारे घर में। उन्होंने मेरे पिताजी से मेरे काम की सराहना कि और पूछा कि आपके बच्चे की फोटो है क्या। पिताजी ने एलबम दिखाई तो उसमें मेरे बर्थ डे की फोटो थी। उन्होंने उस फोटो को लेने की इच्छा जताई और लेकर चले गए।

स्वपनिल ने आगे बताया कि घर पर फोन नहीं था। कुछ ही घरों में फोन होते थे और किसी का फोन आने पर बुलाते थे। पड़ोस की एक आंटी के यहां फोन आया कि सागर आर्ट्स से बोल रहे हैं और स्वप्निल जोशी के पिताजी से बात करनी हैं। आंटी ने पापा को बताया तो उन्होंने कहा कि कोई मजाक कर रहा होगा। सागर आर्ट मेरा नंबर कहां से ढूंढेंगे।

कोई मजाक कर रहा है कि दूसरे दिन फिर फोन आया तो पापा ने कहा कि कह दो घर पर नहीं हैं। तीसरे दिन आया तो आंटी से कहलवा दिया कि घर पर तो है पर बात नहीं करना चाहते। छह बार कॉल आए पर पापा बात नहीं करने गए ये समझकर कि कोई मजाक कर रहा है। 7वीं बार फोन आया तो मोती सागर ने खुद बात की।

आंटी को लगा कि ये मजाक नहीं हो सकता तो पापा को बुलाने के लिए गई। पापा ने भी रामायण के टाइटल में उनका नाम पड़ा था तो सोचा कि इतना नाम लेकर कोई मजाक नहीं कर सकता। पापा फोन पर आए तो मोती अंकल ने थोड़ा नाराजगी दिखाई और बोले कि आपको बात नहीं करनी थी तो बेटे की फोटो हमारे ऑफिस में क्यों दी। पापा को ध्यान आया विलास राज जी मिले थे तो क्लीयर हुआ कि क्या बात थी।

उन्होंने बताया कि वे राम जी के बेटे की भूमिका में लव-कुश की तलाश कर रहे हैं और आपके बेटे से मिलना है। स्वप्निल ने कहा कि पापा के पैरों तले जमीन खिसक गई। आज भी उस बात को याद कर उनकी आंखें नम हो जाती है। मेरे बेटे को फोन आया है दुनियाभर के बच्चों के बीच। पापा मुझे लेकर ऑफिस गए। हम पहले प्रेम सागर जी से मिले।

उन्होंने बताया कि रामानंद सागर जी मिलना चाहेंगे। हम मडआइलैंड के होटल में उनसे मिले। प्यार, ममता, स्नेह देखने लायक था। पापा ने तो रोना शुरू कर दिया। रामानंद सागर जी ने तो कोई काम की बात नहीं की, मेरे बारे में पूछा, फेवरेट सब्जेक्ट, क्या खेलते हो, क्या पसंद है। जाते समय मुझे कहा हमेशा खुश रहना, मुस्कुराते रहना। वह दिन में कभी नहीं भूल सकता।