मसूर का उत्पादन घटने के आसार, भाव में तेजी की उम्मीद

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कोटा। मसूर में एक सप्ताह के अंतराल में मंदे के दलदल के बाद पडता समाप्त हो गया है तथा पाइप लाइन में ज्यादा स्टॉक नही है। केवल पक्के मालों में ग्राहकी नही होने से दहशत का मंदा बना हुआ है। आज के भाव में मसूर की लिवाली फिर बनती है क्योकि खेतों में खडी फसल दिखार्द दे रही है, लेकिन बिजाई कम है तथा यूपी, बिहार, एमपी में उत्पादकता भी घटने की आशंका बन रही है। हालाँकि, राजस्थान में फ़सल बढ़िया बतायी जा रही है।

मसूर की फसल राजस्थान, एमपी, यूपी व बिहार में होती है। राजस्थान व एमपी वाली फसल मोटे दाने की आती है। जबकि यूपी, बिहार की फसल छोटे दाने की आती है। इस बार राजस्थान को छोड़कर सभी उत्पादक राज्यों में पिछैती बरसात से बिजाई देर से एवं कमज़ोर हुई है। ईस्ट यूपी व बिहार की सीमावर्ती उत्पादक क्षेत्रों में बाढ़ व बरसात के पानी से मसूर की बिजाई 40 फीसदी घट गयी थी। उन खेतों में पिछैती चना बोया गया है, जिसमें किसान फली लगने के लिए मैडीसिन का छिड़काव कर रहे है।

अब उससे पश्चिमी क्षेत्र गोडा, बहराइच लाइन में 15 फीसदी बिजाई कम हुई है, क्योकि खेत कच्चे होने से ज्यादा बिजाई नही हुई है तथा बोई हुई फसल भी अनुकूल नही रही। मध्य प्रदेश के मुंगावली, गंजबासौदा, सागर, भोपाल, बीनागंज, अशोक नगर लाइन में मोटी काली मसूर आती है। इसकी बिजाई 10-15 फीसदी कम हुई थी।

इसके बाद बार-बार बरसात होने से ग्रोध भी प्रभावित हुई है, हालाँकि, फली दो बार लगी है, जिससे वहां भी उत्पादकता घटने का अंदेशा बन गया है।प्रत्यक्षदर्शी दूर से तो फसल बहुत बढ़िया देख रहे है, लेकिन फली में दाने कम बताये जा रहे है। इसके अलावा राजस्थान की प्रतापगढ़ लाइन में फसल बढ़िया है। इधर बिजाई के समय में नमी समुचित मिली थी।

इन सभी परिस्थितयों को देखते हुए नई फ़सल की उत्पादकता बढ़ेगी लेकिन कुल मिलाकर औसतन फसल लेट एवं उत्पादन कमज़ोर रह जाने के अनुमान है। उधर मुंबई में 4500/4525 रूपए नीचे में बिकने के बाद देर शाम 4575 रूपए भाव बोलने लगे, जिससे दिल्ली बाजार में भी बाजार थोडा मजबूत रहने की खबर मिल रही है, तथा क़ीमतें यहाँ से 300 रूपए और तेज लग रही है।