कोटा JK लोन अस्पताल में दो और बच्चों की मौत, परिजनों का हंगामा

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कोटा। जेकेलोन अस्पताल में मौत का अस्पताल बन कर रह गया है। 110 बच्चों की मौत के बाद रविवार देर रात एक शिशु और सोमवार को एक बच्ची की मौत हो गई। मरने वालों का आँकड़ा 112 पर पहुँच गया। बच्ची की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि डॉक्टर समय पर बच्चों को नहीं देखते और गार्ड महिलाओं को धक्के देता है। आक्रोशित परिजन अस्पताल परिसर में ही धरने पर बैठ गए।

परिजनों ने बच्ची का शव भी अपने साथ रखा। उन्होंने डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की। सूचना पर नयापुरा थाने से पुलिस पहुंची, लेकिन परिजन धरना देकर बैठे रहे। धरने पर बैठे पीडि़ता की रिश्तेदारों ने कहा, हम नहीं चाहते कि अब किसी और बच्चे के साथ ऐसा हो। यह सुनिश्चित किया जाए।

हंगामा बढ़ा तो अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुरेश दुलारा आए। उन्होंने समझाइश की कि वे शव को लेकर ऐसे धरना नहीं दें। डॉक्टर की लापरवाही से किसी बच्चे की जान नहीं जाएगी। इसके बाद भी परिजन नहीं माने तो अधीक्षक ने एक कागज पर लिखित में आश्वस्त किया कि डॉक्टर की लापरवाही से किसी बच्चे की जान नहीं जाएगी। इसके बाद मामला शांत हुआ।

घटनाक्रम के अनुसार भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ निवासी रफ ीका बानो का पीहर कोटा में है। वह दो माह से अपने पीहर में ही थी और गर्भवती थी। बच्ची के मां की मामी नौरिन ने बताया कि शुक्रवार को सिजेरियन डिलीवरी से उसने दोपहर 1.10 बजे बच्ची का जन्म हुआ। इसके बाद उसे आईसीयू में भर्ती किया गया और कहा गया कि एक घंटे रखेंगे और एक घंटे की जगह तीन घंटे हो गए।

जब डॉक्टरों से कहा यदि ठीक हो तो उसे मां के पास दूध पिलाने ले जाएं। इस पर कहा, अभी नेता आ रहे हैं तुम तो समझदार हो ऐसा क्यों बोल रही हो। फिर भी बच्ची लगातार रो रही थी। इसके बाद बच्ची को दूध पिलाने ले गए। बच्ची दूसरे दिन भी रोती रही। डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने कहा मुंह में अंगुली दो अंगुली दी तो चुप हो गई। उन्होंने कहा, दूध की जरूरत है।

मैने कहा, इसकी नाक बंद हो रही है। डॉक्टर ने देखा, लेकिन आईएसीयू में भर्ती करके ऑक्सीजोन देना चाहिए था, लेकिन डॉक्टर ने नाम में ड्रॉप डालने की बात कहकर वहां से भेज दिया। अब कोई बच्चा नहीं मरना चाहिए। डॉक्टर समय पर देखने जाते ही नहीं है। गार्ड भी हाथ पकड़कर धक्का देता है। किसी महिला का हाथ नहीं पकड़ेगा।

अधीक्षक ने कहा, ऐसा हो तो शिकायत करें उस गार्ड को तत्काल हटाया जाएगा। इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इधर, अस्पताल प्रशासन का कहना है कि दूध पिलाने के बाद बच्ची को डकार नहीं दिलाने से बच्ची की सांस अटकी और उसकी मौत हो गई। लापरवाही जैसी बात नहीं। इससे पहले रविवार देर रात भी एक नवजात की मौत हुई है। जेके लोन अस्पताल में 36 दिन में बच्चों की मौत का आंकड़ा 112 तक पहुंच गया है।