मुंबई।उन स्टूडेंट्स के लिए खुशी की बात है जो नर्सिंग करने की इच्छुक हैं। जल्द ही किसी भी स्ट्रीम की स्टूडेंट्स को नर्सिंग का कोर्स करने की अनुमति मिल सकती है। इंडियन नर्सिंग कौंसिल की योजना इस प्रफेशनल प्रोग्राम के नियमों को आसान बनाना है। इंडियन नर्सिंग कौंसिल के जिम्मे ही सभी तरह के नर्सिंग कोर्स करना और नर्सों का पंजीकरण करना है।
क्या है नया नियम?
कौंसिल ने नियमों का एक ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें आर्ट्स और कॉमर्स के स्टूडेंट्स को भी बीएससी नर्सिंग कोर्स करने की अनुमति देने का प्रावधान है। इस ड्राफ्ट पर विशेषज्ञों के सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। ड्राफ्ट नियम के मुताबिक, नए बीएससी नर्सिंग प्रोग्राम में आर्ट्स और कॉमर्स ग्रैजुएट्स को अतिरिक्त समय दिया जाएगा। उनको अलग से 60 घंटे का अतिरिक्त लेक्चर दिया जाएगा ताकि वे 12वीं तक साइंस पढ़ चुके छात्रों की बराबरी कर सकें।
अब तक क्या था नियम?
अब तक चार साल के बीएससी नर्सिंग कोर्स में सिर्फ वही स्टूडेंट्स दाखिला ले सकते थे, जिन्होंने 12वीं तक साइंस से पढ़ाई की है। फिर उनको एक प्रतियोगी परीक्षा पास करनी होती थी। अगर नए नियम को मंजूरी मिल जाती है तो वे सभी छात्राएं बीएससी नर्सिंग की प्रतियोगी परीक्षा में बैठ सकेंगी जिन्होंने 12वीं क्लास में कम से कम 45 फीसदी नंबर हासिल किया है। फिर प्रतियोगी परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर देश भर के कॉलेजों में प्रफेशनल कोर्स में उनका दाखिला हो सकेगा।
नियम में छूट क्यों?
अभी जनरल नर्सिंग और मिडवाइफरी (जीएनएम) में डिप्लोमा कोर्स कराया जाता है। तीन साल का यह प्रोग्राम है जिसमें सभी स्ट्रीम की छात्राओं को दाखिला मिलता है। तीन साल का प्रोग्राम पूरा करने के बाद ज्यादातर ग्रैजुएट्स को नर्सिंग होम्स में नौकरी मिल जाती है। अब यह प्रोग्राम 2021 से बंद करने का फैसला लिया गया है। इसी फैसले के मद्देनजर नियम में बदलाव की योजना है।
एक नर्सिंग कॉलेज के प्रिंसिपल ने बताया, ‘जीएनएम कोर्स के बंद होने के साथ ही आर्ट्स और कॉमर्स की छात्राओं के लिए नर्सिंग का पूरा पेशा बंद हो जाएगा। इसलिए लगता है कि अब कौंसिल ने गैर साइंस वाली छात्राओं को बीएससी कोर्स में दाखिले की अनुमति देने का फैसला लिया है।’
फैसले पर आपत्ति भी
कौंसिल के एक मेंबर डॉ. रामलिंग माली का कहना है, ‘यह वास्तव में बीएससी प्रोग्राम की हत्या करने और उसकी जगह पर जीएनएम प्रोग्राम को अपग्रेड करने के बराबर है।’ ऑल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फेडरेशन ने भी इस पर आपत्ति जताई है।