ITR प्रोसेसिंग में तकनीकी गड़बड़ी से सैकड़ों टैक्सपेयर्स को नोटिस

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नई दिल्ली। इनकम टैक्स विभाग के सिस्टम में आई गड़बड़ी के चलते सैंकड़ों टैक्सपेयर्स को विभाग की तरफ से नोटिस पहुंच गया। सिस्टम में टैक्स रिटर्न ठीक से प्रोसेस नहीं हो रहे हैं। इसकी वजह से कई टैक्सपेयर्स को कैपिटल गेन्स पर टैक्स की अधिक देनदारी दिखाई दे रही है, वहीं कई टैक्सपेयर्स को टीडीएस क्रेडिट देने से मना कर दिया गया है।

इसके अलावा भी कई और गड़बड़ियां हुई हैं। वरिष्ठ अकाउंटेंट्स ने बेंगलुरु स्थिति विभाग के सेंट्रल प्रोसेसिंग जोन में आई खामी की तरफ केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी का ध्यान आकर्षित किया है।

एक लाख से ज्यादा LTCG पर 10 फीसदी टैक्स
कई वर्षों बाद इंडियन टैक्सपेयर्स को अपने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) पर 10 फीसदी की दर से टैक्स चुकाना होगा, अगर LTCG एक लाख रुपए से ज्यादा है। इतना ही नहीं, सरकार ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स के कैलकुलेशन के लिए 1 फरवरी 2018 का स्टॉक प्राइस या ऐक्चुअल परचेज प्राइस (जो भी ज्यादा हो) का हिसाब तय किया था।

उदाहरण के तौर पर अगर किसी स्टॉक को 2016 में 500 रुपए में खरीदा गया था और मार्च, 2019 में 900 रुपए में बेचा गया था और 1 फरवरी, 2018 को शेयर 800 रुपए पर बंद हुआ था, तो मुनाफा 400 रुपए नहीं, सिर्फ 100 रुपए ही माना जाएगा। डिपार्टमेंट का सॉफ्टवेयर सिस्टम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स की गणना नहीं कर पा रहा है, खासतौर पर मल्टीपल स्टॉक्स वाले LTCG की।

ट्रेड से हासिल पूरी रकम को गेन मान रहा है सिस्टम
दूसरे तरह का एरर उन शेयरों के LTCG कैलकुलेशन में हो रहा है जिन्हें 1 फरवरी 2018 से 31 मार्च 2018 के बीच खरीदा गया था। ऐसे ट्रेड से हासिल पूरी रकम को सिस्टम गेन मान रहा है। मिसाल के लिए अगर किसी आईपीओ में शेयर 1 फरवरी 2018 के बाद 2,000 रुपए पर अलॉट हुए हों और उसे 15 मार्च 2018 को 4,000 रुपए प्रति शेयर की दर से बेच दिया जाता है तो समूचे 4000 रुपए को LTCG मान रहा है।

जुलाई में आईटी विभाग ने अपनी ई-फाइलिंग वेबसाइट पर आईटी रिटर्न फॉर्म्स के सॉफ्टवेयर में बदलाव कर दिए थे, जिसकी वजह से टैक्सपेयर्स को अपना आईटी रिटर्न भरते समय कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसके चलते सरकार को 31 जुलाई की डेडलाइन को आगे बढ़ाना पड़ा था।