नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था पर छाई सुस्ती को देखते हुए सरकार अपना रेवेन्यू बढ़ाने के उपाय तलाश रही है। इसके तहत सरकार कई स्वास्थ्य सेवाओं को जीएसटी के दायरे में ला सकती है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय जीएसटी कलेक्शन बढ़ाने के लिए राज्य सरकारों से चर्चा कर रहा था। ऐसी संभावना है कि मंत्रालय प्रीमियम स्वास्थ्य सेवाओं को जीएसटी की 12 या 18 फीसदी दर के अंतर्गत लाएगा।
यह स्वास्थ्य सेवाएं आ सकती है जीएसटी के दायरे में
इन स्वास्थ्य सेवाओं में हाई-वैल्यू इंप्लांट और दवाएं शामिल हैं जो उन मरीजों को दी जा रही हैं जो किसी हॉस्पिटल या नर्सिंग होम जैसे हेल्थेकयर सर्विस प्रोवाइडर से प्रीमियम सेवा ले रहे हैं। टैक्स के तहत आने वाले आइटम में मरीज द्वारा किया गया प्रीमियम रूम, फूड और बेवरेज का इस्तेमाल भी शामिल हो सकता है। 18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने जा रही है, जिसमें जीएसटी की दरों में बदलाव भी किया जा सकता है।
उपचार कराने पर नहीं लगता है जीएसटी
फिलहाल किसी क्लिनिक या मान्यता प्राप्त डॉक्टर से डायग्नोसिस कराने, किसी बीमारी, जख्म, विकलांगता, असामान्यता या प्रेग्नेंसी के लिए उपचार कराने को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। हालांकि हेयर ट्रांसप्लांट, कॉस्मेटिक या प्लास्टिक सर्जरी पर टैक्स लगाया जाता है। इसी तरह दवाओं को 0, 5, 12 और 18 फीसदी के जीएसटी रेट के तहत टैक्स किया जाता है, लेकिन अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान जिन ड्रग्स का इस्तेमाल किया गया है उनपर कोई टैक्स नहीं लगाया जाता है।
लक्जरी वाली सेवाओं पर लग सकता है अधिक टैक्स
एक सरकारी अधिकारी के मुताबिक, हेल्थकेयर एक बेहद विस्तृत क्षेत्र है और कई स्वास्थ्य सेवाएं लक्जरी की श्रेणी में आ सकती हैं या कई ऐसी सेवाएं हो सकती हैं जिनका मरीज की जान बचाने में कोई योगदान नहीं है। अगर जीएसटी काउंसिल टैक्सेशन का दायरा हेयर ट्रांसप्लांट और कॉस्मेटिक सर्जरी से आगे बढ़ाने के लिए अपनी सहमति जताती है तो इन स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक टैक्स रेट में रखा जा सकता है।