GST: 3 महीने के भीतर अपील पर कारोबारियों को राहत

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कोटा। जीएसटी को लेकर बढ़ते विवादों के बीच केंद्र सरकार ने उन लाखों कारोबारियों को राहत दी है, जो जीएसटी ट्राइब्यूनल का गठन नहीं होने के चलते अपने खिलाफ जारी आदेशों को चुनौती नहीं दे पा रहे थे। फिलहाल आदेश जारी होने के तीन महीने के भीतर ही ट्राइब्यूनल में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन अब साफ किया गया है कि इस तीन महीने की गिनती जीएसटी ट्राइब्यूनल का गठन होने और उसके अध्यक्ष के पदभार ग्रहण करने के बाद शुरू होगी।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज ऐंड कस्टम (CBIC) ने रिमूवल ऑफ डिफिकल्टीज ऑर्डर जारी करते हुए कहा है कि जीएसटी ऐक्ट के सेक्शन 112 के तहत ऑब्जेक्शन हियरिंग अथॉरिटीज की ओर से जारी आदेशों के खिलाफ अपील के लिए निर्धारित तीन महीने की समय सीमा टैक्सपेयर को आदेश की सूचना मिलने या केंद्रीय या राज्य जीएसटी ट्राइब्यूनल के अध्यक्ष के पदभार संभालने में से जो बाद में होगा, उस दिन से शुरू होगी।

फिलहाल कानूनी विवादों के चलते जीएसटी ट्राइब्यूनल्स का गठन नहीं हो पा रहा है और इसमें देरी भी हो सकती है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब तक जारी आदेशों पर अपील का अधिकार तब तक बना रहेगा, जब तक ये ट्राइब्यूनल वजूद में नहीं आ जाते।

सीबीआईसी ने यह भी कहा है कि सेक्शन 112 (3) के तहत कमिश्नर को यह अधिकार है कि वह अपने अधीन जारी किसी भी अधिकार की समीक्षा कर सकता है और जरूरी समझे तो छह महीने के भीतर अपने कनिष्ठ अधिकारी के माध्यम से ट्राइब्यूनल में उसे चुनौती दे सकता है। नए प्रावधान के तहत इस छह महीने की गिनती भी अब ट्राइब्यूनल के शुरू होने के बाद ही होगी।

टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राजकुमार विजय ने बताया कि ट्राइब्यूनल टैक्स विवादों के निपटारे की सबसे अहम और बीच की कड़ी होता है। एजुकेटिंग ऑफिसर की ओर से जारी आदेश को फर्स्ट अपीलेट अथॉरिटी में चुनौती दी जाती है और फर्स्ट अपीलेट अथॉरिटी या ऑब्जेक्शन हियरिंग अथॉरिटी के आदेशों के खिलाफ अपीलेट ट्राइब्यूनल में अपील की जा सकती है। ट्राइब्यूनल के बाद मामले हाई कोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जाते हैं।