जयपुर। डेबिड/ क्रेडिट कार्ड और पेटीएम के जरिए खाते से पैसे उड़ाने वाले साइबर ठग अब फास्ट टैग में बैलेंस रिचार्ज करने के नाम पर भी ठगी करने लगे हैं। हाल ही में सायबर ठगाें ने यूपी के एक अधिकारी काे फास्ट टैग में बैलेंस रिचार्ज करने के नाम पर बैंक का प्रतिनिधि बनकर फाेन किया और खाते से एक लाख रुपए उड़ा लिए।
ऐसे सायबर ठग उन फास्ट टैग उपभाेक्ताओं काे निशाना बना रहे हैं, जिन्हाेंने फास्टैग से संबंधित काेई शिकायत साेशल मीडिया पर डाली है। ऐसे ठग साेशल मीडिया से उपभाेक्ता की शिकायत की जानकारी जुटाते हैं और संबंधित बैंक का प्रतिनिधि बनकर काॅल करते हैं। ऐसा ही एक फेक काॅल सायबर एक्सपर्ट राजशेखर राजहरिया काे भी आया था, जिन्हाेंने टि्वटर पर एचडीएफसी बैंक के फास्ट टैग लाॅगिन आईडी की सिक्याेरिटी से संबंधित शिकायत की थी।
बचना है तो ये करिए
सायबर एक्सपर्ट राजशेखर राजहरिया के अनुसार किसी काे भी फास्ट टैग बैलेंस रिचार्ज व ऑनलाइन ओर्डर करने के बाद फास्ट टैग अब तक नहीं मिलने की शिकायत है ताे वह संबंधित बैंक की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करवाए। ऐसे ठग ज्यादातर माेबाइल नम्बर से फाेन करते हैं। ध्यान रखें कि बैंक कभी माेबाइन नंबर से काॅल नहीं करता और उपभाेक्ता काे किसी शिकायत के संंबंध में कैशबैक या अन्य ऑफर नहीं देता। ठग ही ऐसे लालच देकर उपभाेक्ता काे फंसाते हैं।
फाॅस्टैग उपभाेक्ता माेबाइल नंबर से बैंक प्रतिनिधि बनकर काॅल करते हैं। {उपभाेक्ता से शिकायत के संबंध में माफी मांगते हुए फ्री में फास्ट टैग रिचार्ज करने और अकाउंट में पांच साै से एक हजार रु. वापस करने नाम पर ऑनलाइन फार्म भरवाते हैं। {यहां नाम, माेबाइल नंबर, फास्ट टैग नंबर की जानकारी जुटाकर उपभाेक्ता की यूपीआई आईडी जनरेट करवाकर खाते से पैसे उड़ाते हैं।
ऐसी ठगी में यदि ठग को पता चलता है कि उपभोक्ता यूपीआई , फोन-पे या पेटीएम यूज नहीं करता है तो वो उसे यूपीआई अकाउंट क्रिएट करवाकर उसके पिन नम्बर तक हासिल कर लेते हैं और इन्हें पिन के जरिए वे खाते से पैसे उड़ाते है।