अहमदाबाद। आईआईटी गांधीनगर में स्टूडेंट्स अब शायरी और शब्दों के साथ दोस्ती करना भी सीख रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां स्टूडेंट्स को कई भाषाएं पढ़ाई जा रही हैं। 73 बच्चों ने उर्दू भाषा को अपने सब्जेक्ट के लिए चुना है। दरअसल, ग्रैजुएट, पोस्ट-ग्रैजुएट स्टूडेंट्स ने इस साल कई इलेक्टिव कोर्स को चुना है। 199 स्टूडेंट्स ने फिलॉसफी वहीं 95 स्टूडेंट्स ने फ्रेंच भाषा को चुना है।
शायरी में लग रहा है मन
स्टूडेंट अंकित शर्मा ने बताया कि हम उर्दू शायरी देवनागरी लिपि में पढ़ रहे हैं। मुझे शायरी अच्छी लगती है। मैं महसूस करता हूं कि मैथ्स कविता जैसी ही है। शायरी भी तो मैथ्स की तरह ही एक रिसर्च है। मेरा मानना है कि अपना आइडिया सामने रखने के लिए आपको भाषा की जानकारी होना बहुत जरूरी है। आईआईटी गांधीनगर ने 2011 में उर्दू कविता सब्जेक्ट की शुरुआत की थी। स्टूडेंट्स को इसके लिए 40 लेक्चर लेने होते हैं। रोहित कहते हैं, ‘उर्दू की लिपि थोड़ी मुश्किल है लेकिन मुझे इसके अल्फाज पसंद हैं।’
डर से निकलने में मिली मदद
स्टूडेंट्स का मानना है कि भाषा की वजह से उन्हें अपने डर से निकलने और टैलेंट निखारने में मदद मिली। निकिता शर्मा ने बताया, ‘उर्दू की वजह से मेरी भाषा में सुधार हुआ। हम लोग तकनीकी पढ़ाई में उलझे रहते हैं। इस सब्जेक्ट से मैं अपनी रचनात्मकता को और निखार सकती हूं।’ उर्दू के लेक्चरर मुबशशिर अहसान का कहना है, ‘यह भाषा मीठी है। इसमें ऐसी खूबी है कि यह सभी को अपनी तरफ खींचती है। कई बच्चे पूरा दिन लैब में ही रह जाते हैं। मेरी क्लास में बच्चे एक-दूसरे के साथ घुल-मिल जाते हैं।’