कोटा। दी एसएसआई एवं डिवीजनल एम्प्लॉयर एसोसिएशन कोटा की ओर से ईपीएफ, ईएसआई एवं श्रम कानून मे आए संशोधनों पर सेमिनार का आयोजन बुधवार को पुरुषार्थ भवन में किया गया। श्रम आयुक्त प्रदीप झा ने बताया कि श्रम कानूनों में सुधार के पहले कदम के रूप में, नवगठित सरकार ने 44 श्रम कानूनों को 4 कोड – मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा, औद्योगिक सुरक्षा और कल्याण-औद्योगिक संबंधों में विलय करने की योजना बनाई है।
झा ने वेतन भुगतान अधिनियम,न्यूनतम वेतन अधिनियम,समान पारिश्रमिक के भुगतान अधिनियम को मिलाकर बने एक कोड कानून कि विस्तृत व्याख्या की। उन्होंने बताया कि अब क्षेत्र के आधार पर एक समान मजदूरी निर्धारित की जाएगी। जो व्यक्ति 2 लाख रुपये का पारिश्रमिक पाता है, वह अपने किसी विवाद के लिए न्यायालय मे ना जाकार लेबर कोर्ट में अपना केस कर सकता है। पूर्व में यह 24 हजार रुपये था।
उन्होंने श्रम कानून के कई जुर्माना एवं दण्ड के बारे में चर्चा करते हुए रिकॉर्ड रखने की सीमा के बारे में भी बताया। भविष्य निधि संगठन के पूर्व आयुक्त रामनिवास बैरवा ने वर्तमान में भविष्य की बेसिक श्रम दर में परिवर्तन पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा आये परिवर्तन पर चर्चा। ईएसआई शाखा प्रबन्धक आरपी शर्मा ने ईएसआई विभाग द्वारा विभिन्न संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों के लिए हितों व लाभों की जानकारी दी।
श्रम कानून में बढाया 10 गुना तक फाइन
एसएसआर्ई के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल ने 4 कोड कानून को नियोक्ता के लिए कठोर बताते हुए कहा कि एक ओर जनता मोटर व्हीकल कानून में 4 गुना करने पर चिंतित थे, जबकि श्रम विभाग ने पेनल्टी को 10 गुना कर दिया है। ऐसे में व्यापारियों का हित प्रभावित होता है।उन्होंने कहा कि नये कानून में ट्रेड यूनियन को अधिक महत्व दिया गया है।उन्होंने सरकार से ईपीएफ ,ईएसआई व श्रम कानून के लिए सरकार को एक संयुक्त कानून बनाकर स्वयं के स्तर पर कार्य करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि नियोक्ता को महज उसकी भागीदारी की व्याख्या करने देना चाहिए। इस मामले में सरकार को कदम उठाकर कानून बनाना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक नियोक्ता लाभांवित हो सके।
भविष्य निधि से श्रमिकों को नहीं मिलता समय पर लोन
एसएसआई के अध्यक्ष गोविन्द कमलदीप सिहं ने भविष्य निधि से प्राप्त होने वाले लोन पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि सभी औपचारिकताओं की पूर्ति के बाद भी कर्मचारियों को सालो तक इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने लेबर कोर्ट में चले आ रहे केसों पर भी चिंता व्यक्त करते हुए सभी विवादों की सीमा निर्धारित करने की बात कही। अध्यक्ष ने सरकार से बढ़े हुए फाइन भी वापस लेने का आग्रह किया। सेमिनार के अंत में धन्यवाद ज्ञापित करते हुए सचिव दीपक मेहता ने कहा कि सरकार द्वारा बनाए गए कानून को सरकार कर्मचारियों तक स्वयं पहुचाए, ताकि अंतिम व्यक्त तक लाभान्वित हो सके।