मोक्ष हमारा परम सुख का धाम है: आर्यिका सौम्यनन्दिनी

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कोटा। श्री दिगम्बर जैन मंदिर महावीर नगर विस्तार योजना पर शुक्रवार को आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने शुक्रवार को मोक्ष तत्व पर प्रकाश डाला। आर्यिका संघ का पावन वर्षायोग मंदिर पर चल रहा है। इस दौरान प्रवचन करते हुए माताजी ने कहा कि कर्माें का आत्मा से बंधना, बंध है। ये भी आत्मा के लिए दुखदायी है।

ऐसी श्रद्धा करना बंध तत्व की श्रद्धा कहलाती है। थोड़े थोड़े कर्माें का क्षय करना निर्जरा है। तप से कर्मों की निर्जरा होती है, इसलिए तप में श्रद्धा रखना। किन्तु संसारी प्राणी अपनी शक्ति को भूलकर तप नहीं करता है। लौकिक क्षेत्र में तो शक्ति से बाहर भी कार्य कर लेता है। लेकिन धार्मिक कार्याें में शक्ति नहीं है, इस प्रकार का बहाना करके धार्मिक कार्य नहीं करने को निर्जरा तत्व की भूल कहते हैं।

हमें शक्तिशः धर्म को धारण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोक्ष आकुलता रहित परम सुख रूप् है। वह मोक्ष हमारा परम सुख का धाम है। ऐसा मानना मोक्ष तत्व की श्रद्धा कहलाती है। उन्होंने बताया कि जो वस्तु जैसी है, वैसी ही जानना सम्यक् ज्ञान कहलाता है। हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह का त्याग करने को सम्यक् चरित्र कहते हैं।