कोटा। संसद 130 करोड़ भारतीयों का प्रतिनिधित्व करती है। राष्ट्रभाषा हिन्दी में संसद के भीतर कार्यवाही चले, इसके लिए हम कटिबद्ध हैं। आज तक अंग्रेजों के कानून हमारे देश में चलते थे, लेकिन समय बदला है और 1952 के बाद अब पहली बार संसद में हिंदी के अंदर कानून पारित किए जाते हैं।
यह बात लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जयंती के अवसर पर भारतेन्दु समिति की ओर से आयोजित साहित्यकार सम्मान समारोह में कही। उन्होंने कहा कि अंग्रेजो की गुलामी से हिंदुस्तान आजाद हो गया। अंग्रेज चले गए, लेकिन अंग्रेजी कानून चलते रहे। जब मुझे लोकसभा अध्यक्ष पद का दायित्व मिला तो मैंने व्यक्तिगत तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विशेष आग्रह किया। प्रधानमंत्री की अनुमति के बाद भारत की संसद में जो भी विधेयक पारित होता है वो हिंदी में होता है।
उन्होंने कहा कि भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी साहित्य के पितामह व हिंदी में आधुनिकता के पहले रचनाकार रहे हैं । हिंदी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारंभ भारतेंदु हरीशचंद्र से माना जाता है। उन्होंने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित करने की दिशा में अपनी प्रतिभा का उपयोग किया। बहुमुखी प्रतिभा के धनी भारतेन्दु का हिंदी पत्रकारिता, नाटक और काव्य के क्षेत्र में बहूमूल्य योगदान रहा है।
समारोह में देश के भर के चुने हुए 18 साहित्यकारों को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सम्मानित किया। लोकसभा अध्यक्ष का मंच पर 151 किलो के पुष्पहार से अभिनंदन हुआ। इस दौरान विधायक संदीप शर्मा, हीरालाल नागर, महापौर महेश विजय, राजेश बिरला, हरिकृष्ण बिरला सहित श्री भारतेन्दु समिति के पदाधिकारीगण, साहित्यकार मौजूद थे। कार्यक्रम का शुभारंभ आस्था सक्सेना व योगेश गंधर्व ने राष्ट्रवंदना से किया। मंच से चिदंबरा व फूल फूल मकरंद पुस्तक का भी विमोचन हुआ।