नई दिल्ली। वाहनों की बिक्री में अगस्त में दो दशक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज होने के बाद अब मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 15 महीने की सर्वाधिक सुस्ती दर्ज की गई। सोमवार को जारी एक मासिक आंकड़े में कहा गया है कि बिक्री, उत्पादन और रोजगार में सुस्त वृद्धि के कारण मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की रफ्तार घटी है।
देश के कई सेक्टर में इन दिनों भारी सुस्ती से गुजर रहे हैं। शुक्रवार को जारी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की विकास दर भी अत्यधिक निराश करने वाल रही। अप्रैल-जून तिमाही में देश की विकास दर गिरकर पांच फीसदी पर आ गई, जो गत छह साल का निचला स्तर है। साथ ही लगातार पांचवीं तिमाही में विकास दर में गिरावट आई है।
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) की रीडिंग अगस्त 2019 में गिरकर 51.4 पर आ गई, जो मई 2018 के बाद का निचला स्तर है। जुलाई में मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 52.5 पर था। पीएमआई के अधिकतर इंडिकेटर्स में जुलाई के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई है। इससे सुस्ती के व्यापक दायरे का पता चलता है।
रफ्तार में गिरावट के बावजूद लगातार 25वें महीने मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई 50 से ऊपर रहा है। पीएमआई की शब्दावली में इंडेक्स के 50 से ऊपर रहने का मतलब यह होता है कि सेक्टर में विकास हुआ है। इंडेक्स 50 से जितना ऊपर रहता है, उससे उतने तेज विकास का पता चलता है। इसके 50 से नीचे रहने पर क्षेत्र के उत्पादन में गिरावट का पता चलता है।
नकदी किल्लत और कर्ज नहीं मिलने की समस्या का सामना कर रही हैं कंपनियां कई कंपनियों ने आलोच्य अवधि में नकदी किल्लत और कर्ज नहीं मिलने की समस्या बताई। आईएचएस मार्किट की मुख्य अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि नए ठेके, उत्पादन और रोजगार जैसे सभी महत्वपूर्ण उप क्षेत्रों में गिरावट दर्ज की गई।
अगस्त में जहां अर्थव्यवस्था में सुस्ती आई है, वहीं मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में लागत का दबाव भी बढ़ा है। अगस्त में बिक्री की रफ्तार में 15 महीने की सर्वाधिक गिरावट रही। इसका प्रभाव उत्पादन और रोजगार पर भी पड़ा। साथ ही मई 2018 के बाद पहली बार फैक्ट्रियों ने इनपुट सामग्रियों की खरीदारी घटा दी। विदेशी ठेकों की वृद्धि दर अप्रैल 2018 के बाद सबसे कम रही। उत्पादन वृद्धि दर सालभर के निचले स्तर पर आ गई।
आरबीआई की रेपो दर नहीं घटने की आशंका
बिक्री धटने के कारण कंपनियां नई नियुक्तियां नहीं कर रही हैं। सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों और स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने वालों की जगह भी नई बहाली नहीं की जा रही है। कीमतों के मोर्चे पर देखा जाए, तो लागत खर्च का दबाव नौ महीने के उच्चतम स्तर पर है। पॉलियाना डी लीमा ने कहा कि लागत महंगाई में हुई बढ़ोतरी निकट अवधि में भारतीय रिजर्व बैंक को रेपो दर घटाने से रोक सकती है।