नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) की मांग को मानते हुए बजट के दौरान उनपर बढ़ाए गए सरचार्ज को वापस लेने की घोषणा की है। अब एफपीआई पर सरचार्ज बजट पूर्व 15 फीसदी ही होगा।
वित्त मंत्री ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि पूंजी बाजार में निवेश को उत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया गया है। केंद्र सरकार द्वारा सरचार्ज लगाने के बाद से ही एफपीआई नाराज थे और इसके कारण पिछले कुछ दिनों के दौरान शेयर बाजार से उन्होंने भारी मात्रा में पूंजी की निकासी की थी।
बीते तीन कारोबारी सत्रों से गिरावट झेल रहे शेयर बाजार में शुक्रवार को अंतिम कारोबारी घंटे में काफी खरीदारी देखी गई, जिसके कारण बाजार मजबूत होकर बंद हुआ। इसका कारण यह रहा कि निवेशकों को केंद्र सरकार के इस फैसले का अंदाजा हो गया था।
इससे पहले, सेबी ने एफपीआई की बढ़ती चिंताओं को कम करने के लिए भारत में उनके द्वारा निवेश से संबंधित नियमों को आसान कर दिया था। उसने FPI के लिए रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को सरल बनाया। इसके लिए व्यापक योग्यता शर्तों को खत्म कर दिया गया और निवेशकों की कैटिगरी को भी तीन से घटाकर दो कर दिया।
इनके साथ सेबी की बोर्ड मीटिंग में बायबैक नियमों में बदलाव के साथ क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए नियम सख्त करने सहित कई फैसले लिए गए। बजट में अमीरों पर टैक्स सरचार्ज बढ़ाया गया था, जिसकी चपेट में करीब 40 प्रतिशत FPI भी आ गए थे।
इससे नाराज विदेशी निवेशकों ने जुलाई और अगस्त में काफी बिकवाली की। उन्होंने सरचार्ज को लेकर वित्त मंत्री से भी शिकायत की थी। तब सरकार ने भरोसा दिलाया था कि वह उनकी चिंताएं दूर करने पर गौर करेगी। सेबी के नए नियमों और वित्त मंत्री की घोषणा को FPI का गुस्सा शांत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
बता दें कि देश में निवेश करने वाले 40 पर्सेंट एफपीआई ट्रस्ट या एसोसिएशंस ऑफ पर्संस (एओपी) के रूप में रजिस्टर्ड हैं। बजट में वित्त मंत्री ने सालाना 2 से 5 करोड़ की आमदनी पर इनकम टैक्स के अलावा, सरचार्ज 15 पर्सेंट से बढ़ाकर 25 पर्सेंट और 5 करोड़ से अधिक की आमदनी पर 37 पर्सेंट कर दिया था। इससे दोनों ग्रुप पर कुल टैक्स बढ़कर क्रमश: 39 पर्सेंट और 42.74 पर्सेंट हो गया था।
यह सरचार्ज सैलरी, बचत, ब्याज, म्यूचुअल फंड और स्टॉक मार्केट, इन सबसे होने वाले मुनाफों पर लगाया गया था। इसके दायरे में इंडिविजुअल, ट्रस्ट, हिंदू अविभाजित परिवार, कंपनियां और असोसिएशंस ऑफ पर्संस (एओपी) हैं।
बजट में किए गए फैसले से 5 करोड़ रुपये से अधिक सालाना आमदनी पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स 12 पर्सेंट से बढ़कर 14.25 पर्सेंट, जबकि शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस रेट 17.9 पर्सेंट से बढ़कर 21.4 पर्सेंट हो गया है।