कोटा। महावीर नगर विस्तार योजना स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चल रहे आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी संघ के पावन वर्षायोग के अवसर पर बुधवार को माताजी के सान्निध्य में अभिषेक, पूजा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें स्वस्ति मंगल पाठ तथा परमर्षि स्वस्ति मंगल पाठ, नवदेवता पूजन के बारे में जानकारी दी गई।
इस दौरान माताजी ने प्रवचन करते हुए कहा कि स्वस्ति वाचन पाठ से जीवन में शुभता और मंगल का आगमन होता है। पूजा से पहले इसके वाचन का यही उद्देश्य है कि समस्त देवी-देवता आपकी पूजा को ग्रहण करने के लिए और पूजा का शुभ प्रतिफल देने के लिए तैयार और तत्पर हो जाए। उन्होंने कहा कि 64 रिद्धियों का पाठ करने से शुद्ध आत्मा का प्रभाव प्रकट होता है।
इस प्रभाव से अपनी आत्मा को भी शुद्ध आत्मा बनाया जा सकता है। जिससे व्यक्ति का कल्याण संभव होता है। माताजी ने कहा कि किसी गलती को बार बार करने से वह अपराध बन जाता है। किसी गलती का तो प्रायश्चित किया जा सकता है, लेकिन जानबूझकर किया गया अपराध प्रायश्चित योग्य भी नहीं होता है।