नई दिल्ली। यूजर्स की प्रिवेसी को लेकर Facebook पर एक बार फिर से सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में आई Bloomberg की एक रिपोर्ट के अनुसार फेसबुक द्वारा रखे गए थर्ड पार्टी एम्पलॉयी (कॉन्ट्रैक्टर्स) यूजर्स की ऑडियो क्लिप को सुन रहे थे।
वहीं फेसबुक ने ब्लूमबर्ग की इस रिपोर्ट को खंडन करते हुए कहा कि उसने ऑडियो क्लिप को रिव्यू करने के लिए इंसानो का इस्तेमाल एक हफ्ते पहले ही बंद कर दिया है। हालांकि, फेसबुक ने माना कि उसने शुरुआत में कुछ कॉन्ट्रैक्टर्स को जरूर हायर किया था ताकि वह मेसेंजर ऐप पर चेक कर सके कि ऑडियो क्लिप को ठीक तरह से ट्रांसक्राइब हो रहे हैं या नहीं।
फीचर ऑन करने पर ही सुनी जा सकती है बातचीत
फेसबुक साल 2015 से वॉइस क्लिप को टेक्स्ट में बदलने की सहूलियत दे रहा है। यह फीचर बाइ डिफॉल्ट ऑफ ही रहता है। फेसबुक ने कहा कि जिन यूजर्स ने इस फीचर को ऑन को किया था केवल उन्हीं के ऑडियो क्लिप्स को थर्ड-पार्टी कॉन्ट्रैक्टर्स ने रिव्यू किया है। वहीं फेसबुक के सपॉर्ट पेज के मुताबिक अगर चैट करने वाले यूजर्स में से अगर किसी एक ने भी ट्रांस्क्राइबिंग को ऑन रखा है तो पूरी चैट ट्रांसलेट होगी।
सपॉर्ट पेज पर नहीं दी गई है सही जानकारी
इसमें चिंता की बात यह है कि फेसबुक के सपॉर्ट पेज या सर्विस इस्तेमाल करने के लिए रखे गए नियम व शर्तों में इस बात का कही जिक्र नहीं है कि फेसूबुक मेसेंजर के ऑडियो क्लिप्स इंसानों द्वारा रिव्यू किए जाएंगे। सपॉर्ट पेज की बात करें तो वहां लिखा है, ‘वॉइस को टेक्स्ट में बदलने के लिए मशीन लर्निंग का इस्तेमाल किया जाता है। जितना ज्यादा आप इस फीचर को इस्तेमाल करेंगे उतने बेहतर ढंग से यह आपकी मदद कर पाएगा।’
दूसरी दिग्गज कंपनियों पर भी उठ चुके हैं सवाल
फेसबुक से पहले भी गूगल, ऐपल और ऐमजॉन पर थर्ड पार्टी का इस्तेमाल कर यूजर्स की बातचीत सुनने का मामला सामने आ चुका है। गूगल और एलेक्सा अपने वॉइस असिस्टेंट प्रॉडक्ट्स से यूजर्स के ऑडियो को रिव्यू कर रहे थे। हालांकि ऐमजॉन अपने यूजर्स को इस सर्विस को ना यूज करने का ऑप्शन देता है, वहीं गूगल इस मामले में थोड़ा बचाव करता दिखा। गूगल का कहना है कि इसके जरिए गूगल असिस्टेंट को अलग-अलग भाषाओं में काम करने में मदद मिलती है। ऐपल की बात करें को कंपनी ने पिछले हफ्ते ऐलान किया है कि उसने सिरी कॉन्वर्सेशन सुनने के लिए थर्ड-पार्टी एम्पलॉयीज का इस्तेमाल बंद कर दिया है।