नई दिल्ली। विवादास्पद ‘चार साल के ग्रैजुएशन प्रोग्राम’ (FYUP) को रद्द किए जाने के पांच साल बाद यूजीसी ने इसे शुरू करने का सुझाव दिया है। यूजीसी की समिति ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में बेहतर अनुसंधान के लिए इसे शुरू किए जाने का सुझाव दिया है। साथ ही नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर काम करने वाले एचआरडी मंत्रालय के पैनल ने भी ग्रैजुएशन पाठ्यक्रमों में सुधार के लिए कार्यक्रम की सिफारिश की है।
भारतीय विज्ञान संस्थान (बेंगलुरु) के पूर्व निदेशक प्रो. पी. बालाराम ने इस समिति की अध्यक्षता की। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस व्यवस्था से डॉक्टरेट के लिए अच्छे छात्र मिल सकेंगे। गौरतलब है कि पूर्व कुलपति दिनेश सिंह के कार्यकाल के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय ने FYUP पेश किया गया था, जिसे पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने खारिज कर दिया था।
यूजीसी की चार सदस्यीय कमिटी के अलावा एचआरडी मिनिस्ट्री की एक कमिटी ने भी इसका सुझाव दिया था। एचआरडी मिनिस्टी की वह कमिटी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर काम कर रही थी। उस कमिटी की अध्यक्षता इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु के पूर्व निदेशक प्रफेसर पी.बालाराम कर रहे थे। कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘चार साल का अंडरग्रैजुएट प्रोग्राम ऑफ करने वाली यूनिवर्सिटियों की संख्या बढ़ाई जाए। कोर्स में रिसर्च पर जोर दिया जाए ताकि डॉक्टोरेट प्रोग्राम के लिए सक्षम छात्र मुहैया हो सके।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था, ‘मौजूदा दो साल के एमए और एमएससी प्रोग्रामों में भी 6-10 क्रेडट का रिसर्च प्रॉजेक्ट शामिल किया जाएगा। ऐसे अंडरग्रैजुएट कार्यक्रमों को बंद करना जरूरी है जिनकी गुंजाइश काफी सीमित है क्योंके उन कोर्सों में किसी खास विषयों में ही प्रशिक्षण दिया जाता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है, ‘सभी फुल टाइम अंडरग्रैजुएट प्रोग्रामों के बेस को बढ़ाया जाए। ऐसे प्रफेशनल और वोकेशनल कोर्सों को डिप्लोमा कोर्स के तौर पर अलग से चलाया जाना चाहिए जिससे जॉब आसानी से मिलती है।’