कोटा। दिगंबर जैन मन्दिर महावीर नगर विस्तार योजना में चातुर्मास कर रही आर्यिका सौम्यनन्दिनी माताजी ने शुक्रवार को अपने प्रवचन में कहा कि तत्वज्ञान के अभाव में व्यक्ति संसार में भटकर रहा है। सांसारिक ज्ञान का बोझ ढोने को मजबूर व्यक्ति पीड़ा भोगने को मजबूर है। बिना तत्वज्ञान के धर्म को भी नहीं समझा जा सकता है। धर्म को जानने के लिए ध्यान करना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि राजा को भी धर्म की शरण में जाना पड़ता है। जिसका जो धर्म होता है, उसे निभाना पड़ता है। धर्म की शरण में रहने वाले राजा के राज्य में प्रजा खुशहाल और कल्याणकारी होती है। इस दुनिया में बिना किए किसी को कुछ नहीं मिलता है और जो व्यक्ति जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल भी मिलता है।
सौम्यनन्दिनी माताजी ने ‘‘ये तो संसार सागर दुखों से भरा, या में सुख कहीं नजर आता नहीं…’’ गाकर सुनाया। इससे पहले कल्पना लूंग्या ने भजनों की प्रस्तुति दी। वहीं कैलाशचन्द्र महेन्द्र कुमार धनोतिया के द्वारा चित्र अनावरण, दीप प्रज्ज्वलन, शास्त्र भेंट किया गया।