नई दिल्ली। फिच ने चालू वित्त वर्ष यानी 2019-20 के लिए भारत के ग्रोथ अनुमान को घटाकर 6.6 फीसदी कर दिया है, जबकि पहले रेटिंग एजेंसी ने 6.8 फीसदी का अनुमान दिया था। फिच ने बीते साल की तुलना में मैन्युफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र में सुस्ती के संकेतों को इसकी वजह बताया है।
ग्लोबल रेटिंग एजेंसी ने ग्लोबल इकोनॉमिक आउटलुक में अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 के लिए 7.1 फीसदी और 2021-22 के लिए 7 फीसदी के ग्रोथ अनुमान को बरकरार रखा है। पिछले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ 6.8 फीसदी के साथ 5 साल के निचले स्तर पर आ गई थी। फिच ने कहा, ‘हम वित्त वर्ष 2019-20 में 6.6 फीसदी ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा 2020-21 में 7.1 फीसदी और 2021-22 में यह 7 फीसदी रहने का अनुमान है।’
लगातार चौथी तिमाही घटी जीडीपी ग्रोथ
जनवरी-मार्च तिमाही में 5.8 फीसदी की ग्रोथ के साथ भारत की जीडीपी ग्रोथ में लगातार चौथी तिमाही में गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 8.1 फीसदी रहा था।
फिच ने कहा, ‘यह 5 साल में सबसे ग्रोथ रही है। बीते साल के दौरान रही सुस्ती की मुख्य वजह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और कृषि में नरमी रही। कमजोर ग्रोथ की मुख्य वजह घरेलू रहीं। वहीं निर्यात वृद्धि भी हाल में कमजोर पड़ी है।’
आरबीआई ब्याज दरों में फिर कर सकता है 0.25% की कटौती
फिच ने कहा कि रिजर्व बैंक ने जून के पॉलिसी रिव्यू में ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कमी की, जो इस साल तीसरी कटौती थी। इसकी मुख्य वजह ग्रोथ को रफ्तार देना और बढ़ती महंगाई को थामना रही।
फिच ने कहा, ‘हमें 2019 में एक बार फिर 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है, जिससे पॉलिसी रेपो रेट घटकर 5.50 फीसदी पर आ जाएंगी। आरबीआई द्वारा मॉनिट्री और रेग्युलेटरी नरमी से प्राइवेट सेक्टर को क्रेडिट में रिकवरी आनी चाहिए।’