बंद से कोटा समेत पूरे राजस्थान में व्यापार ठप, 10 हजार करोड़ का कारोबार प्रभावित

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जीएसटी में विसंगतियों को लेकर शुक्रवार को कोटा के बाजार बंद रहे।

बंद के कारण कोटा में करीब 300 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित

जयपुर/ कोटा । एक जुलाई से लागू होने वाले गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) के विरोध में शुक्रवार को भारत बंद के चलते कोटा समेत पूरे प्रदेश में 50 लाख से ज्यादा दुकानें व कारखाने नहीं खुले। शाम तक जयपुर समेत सभी प्रमुख शहरों में सन्नाटा पसरा रहा। मंडियां सूनी रहीं। कोटा व्यापार महासंघ के आह्वान पर शुक्रवार को कोटा के मेडिकल, पेट्रोल पम्प व परिवहन समेत अन्य आवश्यक सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी कारोबार पूरी तरह से बंद रहे। बंद के कारण कोटा में करीब 300 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित हुआ।

कोटा बंद का अवलोकन करते कोटा व्यापार महासंघ के पदाधिकारी

60 हजार दुकानों के नहीं खुले ताले 
कोटा में करीब 60 हजार दुकानों के ताले नहीं खुले। भामाशाह मंडी की भी करीब 450 दुकानें बंद रहीं।  कोटा के निजी शिक्षण संथानों ने भी बंद का समर्थन करते हुए स्कूल कॉलेज बंद रखे। शहर के सबसे व्यस्तम बाजार गुमानपुरा, रामपुरा, बजाजखाना, इन्द्रा मार्केट, स्वर्ण रजत मार्केट, सब्जीमंडी, छावनी, जवाहरनगर डिस्ट्रिक्ट सेंटर, केशवपुरा, महावीरनगर, अनंतपुरा, पुलिस लाइंन क्षेत्र में किसी भी कारोबारी ने अपनी दुकान नहीं खोली। जिसकी वजह से पूरे बाजार में सन्नाटा पसरा रहा।

दो दुकानों में तोडफ़ोड़
महाबंद के बावजूद छावनी में दो दुकानदारों ने अपनी दुकानें खोल ली। शहर में घूम-घूम कर बाजार बंद करवा रहे व्यापारी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जब इन्हें खुला देखा तो दुकानदारों से दुकानें बंद करने का अनुरोध किया। इस बात को लेकर दुकानदारों और व्यापारी संगठन के कार्यकर्ताओं में विवाद हो गया। जिसके बाद व्यापारी भड़क गए और दुकानों पर तोडफ़ोड़ कर दी।

जीएसटी की विसंगतियों को लेकर प्रदर्शन
जीएसटी में विसंगतियों को लेकर व्यापारियों ने जगह- जगह विरोध प्रदर्शन भी किया। कोटा व्यापार महासंघ के अध्यक्ष क्रांति जैन व महासचिव अशोक माहेश्वरी के नेतृत्व में व्यापारियों ने छावनी फ्लाई ओवर के नीचे तथा गुमानपुरा चौराहे पर खुदरा व्यापार संघ के व्यापारियों ने विरोध प्रदर्शन किया। जैन ने बताया कि केन्द्र सरकार जीएसटी को आनन-फानन में लागू कर रही है। इसमें कई विसंगतियां रह गई है। अभी भी कई व्यापारियों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाए है। कपड़ा समेत कई चीजों पर बेवजह कर लगाया जा रहा है। इससे व्यापारी परेशान है। उन्होंने सरकार से जीएसटी की प्रक्रिया को सरलीकरण व कर मुक्त की मांग की है। 

सरकार के सामने रखी यह मांगे

  • माह में तीन रिटर्न एवं साल में 37 रिटर्न व्यवस्था को समाप्त कर तिमाही रिटर्न की व्यवस्था की जाए।
  • मंडियों में आड़तिया सिस्टम को जीएसटी में स्थान मिले।
  • ईवे बिल व्यवस्था को समाप्त हो।
  • ब्रांडेड खाद्यान्न पर टैक्स नहीं लगाया जाए। सभी कृषि जिंस कर मुक्त श्रेणी हो
  • पशु आहार का रा-मेटेरियल कर मुक्त हो।
  • ऑनलाइन व्यवस्था के साथ मैन्युअल व्यवस्था का प्रावधान हो।
  •  कपड़े, स्कूल बेग्स, उच्च शिक्षा, जयपुरी रजाई, अगरबत्ती, 500 रुपए तक के जूतों को कर मुक्त किया जाए।
  • ज्वैलरी व सोना-चांदी पर जीएसटी एक फीसदी हो।
  • स्टेनलेस स्टील, नमकीन नमदा, वूलवेस्ट, इलेक्ट्रिकल स्विच गियर्स, वायर एंड केबल्स, काटन टेप, मोटर बाइंडिंग वायर्स, प्लाईवुड, लकड़ी, सभी प्रकार के ड्राई फ्रूट्स, देसी घी, अचार, काफी, कार्ड्स, मार्बल, आदि पर कर दर घटाकर पांच फीसदी की जाए।