हैकर्स हैकिंग के लिए आए दिन नए-नए तरीके अपना रहे हैं। सालों तक फिशिंग और ब्रूट फोर्स अटैक्स के जरिए ठगी करने के बाद अब हैकर साउंडवेव्स से हैकिंग को अंजाम दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि कैसे हो रही साउंडवेव्स के जरिए हैकिंग और क्या है इससे बचने का तरीका।
सुन लेते हैं पासवर्ड टाइपिंग: स्मार्टफोन के कीबोर्ड पर जब आप टाइप करते हैं, तो उससे एक साउंडवेव निकलती है। टाइपिंग के दौरान स्क्रीन पर पड़ने वाला हर स्ट्रोक अलग-अलग तरह के वाइब्रेशन पैदा करता है। इन वाइब्रेशन्स को कानों से सुन पाना मुश्किल होता है।हैकर्स
ऐप के जरिए सुनते हैं टाइपिंग की साउंडवेव:आपके द्वारा की जाने वाली टाइपिंग की साउंडवेव्स को ऐप्स की मदद से सुन लेते हैं। रीसर्चर्स ने बताया कि इन साउंडवेव्स को खास ऐप्स और ऐल्गोरिदम से सुना और डीकोड किया जा सकता है।रीसर्चर्स ने 45 लोगों को मैलवेयर वाले स्मार्टफोन इस्तेमाल करने को दिया।
रिकॉर्ड हुई साउंडवेव को करते हैं डीक्रिप्ट: यह मैलवेयर एक ऐप के अंदर मौजूद था। इसके बाद इन लोगों को अलग-अलग आवाज वाली जगहों पर खड़ा करके फोन में टेक्स्ट एंटर करने को कहा गया। टाइपिंग के दौरान पाया गया कि मैलवेयर वाले ऐप ने हर कीस्ट्रोक से पैदा होने वाले वेव्स को आसानी के रिकॉर्ड लिया था। साउंडवेव्स के रिकॉर्ड होने के बाद रीसर्चर्स की टीम ने मशीन लर्निंग ऐल्गोरिदम से इसे डीक्रिप्ट कर लिया।
जान लेते हैं टाइपिंग की सारी डीटेल :यह सिस्टम वेव्स के जरिए जान लेता है कि कीबोर्ड के कौन से लोकेशन से कौन सी साउंडवेव आई है। इसकी मदद से अक्षरों और शब्दों को आसानी से डीकोड किया गया। रीसर्चर्स ने बताया कि हैकर्स इसी तकनीक से गोपनीय पिन कोड, पासवर्ड आदि को हैक कर लेते हैं।पा सवर्ड हैक करने के लिए हैकर्स आपके फोन में मलीशस ऐप को इंस्टॉल कर देते हैं। यह ऐप फोन के माइक्रोफोन को हैक कर टाइपिंग से निकलने वाली वेव्स को रिकॉर्ड कर लेता है।
आमतौर पर यूजर्स ऐप को इंस्टॉल करते वक्त इस बात का ध्यान नहीं देते कि ऐप उनसे क्या-क्या परमिशन मांग रहा है। यहीं सबसे बड़ी चूक होती है। हालांकि, रीसर्चर्स ने बताया कि इन अटैक्स से बचने के लिए यूजर्स मैन्युअली फोन के माइक को ऑफ कर सकते हैं।