नई दिल्ली। देश में सर्विसेस सेक्टर एक्टिविटी मई में एक साल के निचले स्तर पर पहुंच गईं। चुनावी महीने की सुस्ती और नए वर्क की ग्रोथ में कमी के चलते सेक्टर को यह झटका लगा है। निक्की इंडिया सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स मई में घटकर 50.2 अंक पर आ गया, जबकि अप्रैल में यह 51 रहा था।
यह बीते एक महीने के दौरान सबसे कमजोर ग्रोथ रही थी। हालांकि सुस्ती के बावजूद सर्विसेस पीएमआई में लगातार 12वें महीने ग्रोथ दर्ज की गई। पीएमआई में 50 से ऊपर के आंकड़े का मतलब विस्तार है, जबकि इससे नीचे का मतलब कमी होता है।
चुनावों से बढ़ा दबाव
रिपोर्ट की एक ऑथर और आईएचएस मार्किट की प्रिंसिपल इकोनॉमिस्ट पॉलियाना डि लीमा ने कहा, ‘सर्विसेस सेक्टर पर आधारित भारतीय इकोनॉमी को चुनावों के कारण दबाव का सामना करना पड़ा। इसके साथ ही नए वर्क ग्रोथ और बिजनेस एक्टिविटी में लगातार तीसरे महीने सुस्ती दर्ज की गई।’
भविष्य में रिवाइवल के मिले संकेत
हालांकि सर्वे में इस बात का भी उल्लेख किया गया कि स्लोडाउन के अस्थायी होने के भी संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि कंपनियों ने हायरिंग बढ़ा दी है और भविष्य की संभावनाओं को लेकर उनमें ज्यादा आत्म-विश्वास नजर आ रहा है। लीमा ने कहा, ‘संकेत हैं कि हमें निकट भविष्य में सर्विस सेक्टर में रिवाइवल देखने को मिल सकता है। हायरिंग एक्टिविटी और सेंटीमेंट में सुधार देखने को मिल रहा है। विभिन्न बिजनेसेस में क्लाइंट खर्च और निवेश बढ़ रहा है, जो महंगाई के दबाव के चलते हाल के दौर में सुस्त पड़ गया था।’
2019 की दूसरी छमाही में रिकवरी का अनुमान
लीमा ने कहा, ‘सर्विसेस सेक्टर के आंकड़ों को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जोड़कर देखें तो पीएमआई आंकड़ों से पता चलता है कि कंबाइंड प्राइवेट सेक्टर की सेहत अच्छी बनी हुई है।’ लीमा ने कहा कि एक सरकार के गठन और पॉलिसी एजेंडे के लागू होने से 2019 की दूसरी छमाही में रिकवरी दिखने का अनुमान है।