कोरियाई टेंडर से तिल में फिर तेजी के आसार

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मुकेश भाटिया
कोटा ।
बीते दो -ढाई माह से भी अधिक समय से तिल का कारोबार एक दायरे में ही शिफ़्ट हो गया है,गुजरात की मंडियों ग्रीष्मकालीन तिल्ली की फ़सल की शुरुआत हो गयी है। इसके बावजूद, हाल ही घोषित कोरियाई टेंडर को देखते हुए तिल की कीमतों एक बार फ़िर अच्छी तेजी बनने के आसार दिखने लगे हैं।

खरीफ सीजन की तिल्ली फ़सल लगभग समाप्त हो गयी है। जानकार लगभग स्टॉक 10-12 मीट्रिक टन बचने के अनुमान लगा रहे हैं । गर्मी में मुख्य रूप से गुजरात में आने वाली तिल की फ़सल में दाने कम बैठने की आशंका से उत्पादन पूर्व निर्धारित 30 हज़ार टन के अनुमान से कमज़ोर रहने की खबरें मिल रही है, गुजरात के अलावा महाराष्ट्र व दक्षिण भारत के भी कुछ क्षेत्रों में भी तिल फ़सल कमज़ोर ही सही, लेकिन तैयार हो चुकी है। उसका उत्पादन 22/24 हजार टन से अधिक रहने की गुँजाइश नही दिखाई दे रही है।

इस तरह रबी व खरीफ सीजन की तिल को मिलाकर का तिल की उपलब्धता 32/33 हजार टन की रहेंगी। खरीफ सीजन में आने वाली मुख्य फ़सल को आने में अभी काफी समय बकाया है।जबकि 10 हजार मीट्रिक टन का निर्यात टेण्डर अगले जून माह के पहले सप्ताह में होने वाला है। खपत के लिए अभी चार माह से भी अधिक का समय बकाया है। तिल का कुल उत्पादन बीते सीजन में मुश्किल से 3.5/3.8 लाख टन के करीब रहने का अनुमान है।

जानकार मानते है कि नई फ़सल से पूर्व ही पुराना स्टॉक लगभग निबट चुका था। जिसके चलते सीजन में ही हलिंग क्वालिटी माल ग्वालियर बाजार में 123/124 रुपए प्रति किलो बिक गया था,वह अब घटकर 114 रुपए के आसपास रह गये हैं। वर्तमान में छतरपुर लाइन में 111/112 रुपए के आसपास व्यापार हो रहा है। मुंबई में 115/116 रुपए तक क्वालिटीनुसार व्यापार हो रहा हैं।

इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए नई फसल के प्रेशर पर भी हल्के करैक्शन की ही संभावना बन रही है, जबकि ख़रीफ़ सीजन की नई फसल आने में अभी चार माह से आधी कस समय का बकाया हैं। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए 15 जून के बाद एक बार फिर घरेलू मंडियों में शॉर्टेज बनने की आशंका उभर में आ जाएगी। जिससे क़ीमतों में नयी फसल से पूर्व एक वार फ़िर अच्छी तेजी आने की उम्मीद बनने लगी है। हालाँकि आगे की स्थिति मानसून पर निर्भर करेगी।…