जयपुर। आदर्श ग्रुप वित्तीय गड़बड़ियों के चलते वर्ष 2009 में ही आयकर विभाग के राडार पर आ गया था। विभाग ने ग्रुप के सिरोही व जयपुर स्थित ठिकानों पर छापेमारी कर 10 करोड़ रुपए से ज्यादा के फाइनेंशियल फ्राड का दावा किया था। आदर्श ग्रुप की वित्तीय गड़बडिय़ों पर आयकर विभाग ने वर्ष 2009-10 में आयकर छापों में बता दिया था कि ग्रुप में ब्लैक मनी के लेनदेन काे लेकर गलत तरीके से निवेश हो रहा है। इस पूरे प्रकरण की शिकायत आरबीआई में भी हुई थी। इसके बाद आरबीआई ने ग्रुप को नोटिस जारी किया था।
खाली पड़े लॉकर्स में छिपाया था ब्लैक मनी
वर्ष 2009 – 10 की आयकर कार्रवाई में आदर्श ग्रुप की शाखाओं में जनता के लिए लॉकर्स की व्यवस्थाएं थी। ग्रुप संचालकों ने खाली पड़े लॉकर्स में ब्लेक मनी छिपाया था। जिसे आयकर अफसरों ने बरामद किया था। आयकर विभाग इन पर लगातार निगरानी करता रहा और 2018 में दोबारा से सिरोही सहित 15 ठिकानों पर आयकर छापे की कार्रवाई की थी।
जयपुर के लोगों का 100 करोड़ से ज्यादा का निवेश
आदर्श ग्रुप के 100 करोड़ रुपए से ज्यादा के निवेशक जयपुर से हैं। जयपुर में इस ग्रुप के सात ऑफिस है। इनमें मानसरोवर, चांदपोल, टोंक रोड, तिलक नगर, चौड़ा रास्ता, जयंती मार्केट आदि जगहों पर ग्रुप के ऑफिसों का संचालन हो रहा है। माना जा रहा है जयपुर से ग्रुप के सैकडों निवेशक शामिल है। हालांकि अभी तक ग्रुप ने जयपुर निवेशकों का खुलासा नहीं कर रखा है।
पौंजी स्कीम से पैर जमाएं
डेढ़ दशक पहले गांव और दूरदराज में बैकिंग व्यवस्था कमजोर थी। इस ग्रुप ने सोसायटी के जरिए बैंकिंग व्यवस्था का विकल्प दिया। हालांकि पौंजी स्कीम के जरिए पैर जमाएं। जिसमें बैंकों की तुलना में ज्यादा रिफंड देने के दावे किए जाते हैं। ऐसे में कई गरीब महिलाएं और ब्लेक मनी से जुड़े लोगों ने इन पौंजी योजनाओं में निवेश करके ग्रुप को मजबूत किया ।
170 पेज की एफआईआर दर्ज
जांच में सामने आया कि आदर्श क्रेडिट काे ऑपरेटिव साेसायटी में माेदी परिवार की ओर से अपने मित्राें एवं परिवारजनाें के नाम 187 ऋण खाताें में 20 लाख सदस्याें की ओर से निवेश की गई राशि की 99 प्रतिशत राशि फर्जी कंपनियाें में की गई। इन संदिग्ध कंपनियाें की ओर से अर्जित की गई संपत्तियाें काे साेसायटी में माेरगेज भी नहीं किया गया।
जांच में सामने आया कि 31 मार्च 2019 तक इन 187 ऋण खाताें में 14 हजार 682 कराेड़ बकाया चल रहे हैं। जांच में सामने आया कि कई निवेशक राशि मांग रहे हैं। साेसायटी भुगतान नहीं कर रही। एसओजी की जांच में सामने आया कि मुकेश माेदी की पत्नी एवं दामाद की फर्म महावीर कंसलटेंसी काे साेसायटी ने गत तीन साल में एडवाइजर बताकर 720 कराेड़ रुपए का भुगतान कर दिया।
महावीर कंसलटेंसी ने कोई सेवाएं साेसायटी काे नहीं दी। एसओजी के अधिकारी एएसपी सत्यपाल मिढा ने जांच में माना कि साेसायटी के पास 31 मार्च 2016 तक 223 कराेड़ 77 लाख रुपए थे जो सोसायटी को कभी नहीं मिले। नाेटबंदी के दाैरान साेसायटी ने शेयर एप्लीकेशन मनी के रूप में इन नाेटाें काे जमा कराना बताया था।
5 माह पहले हुआ था घोटाले का खुलासा
आदर्श को-ऑपरेटिव सोसायटी के घोटाले रजिस्ट्रार को-ऑपरेटिव की जांच रिपोर्ट में ही सामने आ गए थे। रजिस्ट्रार नीरज के. पवन ने करीब 5 महीने पहले एसओजी को चिट्ठी लिखकर मामले की जानकारी दी थी। उन्होंने 197 पेज की अपनी जांच रिपोर्ट एसओजी को सौंपी थी। रिपोर्ट में सामने आया कि कंपनी निवेशकों के पैसे लेकर वापस नहीं लौटा रही थी। कंपनी ने निवेशकों का पैसा लेकर रियल एस्टेट में लगा दिया।
रियल एस्टेट डूबते ही निवेशकों का पैसा भी डूब गया। इसकी शिकायतें पिछले साल से ही आनी शुरू हो गई थी। रजिस्ट्रार ऑफिस ने कंपनी के अधिकारियों को तलब कर उन्हें निवेशकों का पैसा लौटाने की चेतावनी भी दी थी। पूर्व में यह सोसायटी सिरोही में रजिस्टर्ड थी लेकिन कुछ सालों पहले यह मुंबई में शिफ्ट हो गई और मल्टी स्टेट होने की वजह से राजस्थान के को-ऑपरेटिव रजिस्ट्रार ऑफिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो गई थी।