इंदौर। ऊंचे भावों के कारण अंतरराष्ट्रीय मांग घटने से अप्रैल के दौरान भारत से सोया खली का निर्यात 25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 75,000 टन रह गया. अप्रैल 2018 में देश से इन उत्पादों का निर्यात करीब एक लाख टन के स्तर पर था। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने सोमवार को यह अनुमान जाहिर किया।
सोपा के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने बताया, “आलोच्य अवधि के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोया खली के भाव अमेरिका, ब्राजील और अर्जेन्टीना के इस उत्पाद के मुकाबले ऊंचे बने रहे। इससे भारतीय सोया खली की मांग पर जाहिर तौर पर विपरीत असर पड़ा।” सोपा के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल में भारतीय सोया खली का सबसे बड़ा आयातक ईरान रहा।
फारस की खाड़ी के इस मुल्क ने गुजरे महीने भारत से सोया खली की 49,890 टन की खेप मंगायी। मौजूदा तेल विपणन वर्ष (अक्टूबर 2018-सितंबर 2019) में अक्टूबर से अप्रैल के बीच देश से सोया खली का निर्यात 16.88 लाख टन के स्तर पर रहा।
यह पिछले तेल विपणन वर्ष के शुरूआती सात महीनों के दौरान 11.78 लाख टन के सोया खली निर्यात के मुकाबले करीब 43 फीसद अधिक है। सोया खली वह उत्पाद है जो प्रसंस्करण इकाइयों में सोयाबीन का तेल निकाल लेने के बाद बचा रह जाता है। यह उत्पाद प्रोटीन का बड़ा स्त्रोत है। इससे सोया आटा और सोया बड़ी जैसे खाद्य उत्पादों के साथ पशु आहार तथा मुर्गियों का दाना भी तैयार किया जाता है।