नई दिल्ली। महीनों से सैलरी न मिले और फिर जॉब भी चली जाए तो सोचिए क्या गुजरेगी। जेट एयरवेज की लैंडिंग से हजारों कर्मचारी और उनके परिवार इसी पीड़ा से गुजर रहे हैं। सभी के सारे सपने एक पल में क्रैश हो गए। करीब दो दशक से जेट एयरवेज के कर्मचारियों की जिंदगी अच्छी तरह उड़ान भर रही थी, अचानक वे ऐसा ‘टर्बुलेंस’ झेल रहे हैं, जिसके खत्म होने के अभी आसार नहीं दिख रहे। अपना दर्द बयान करते हुए उनका गला रुंध जाता है, आंखों में आंसू छलक पड़ते हैं।
असिस्टेंट बेस मैनेजर हरप्रीत कौर 22 साल से जेट एयरवेज में हैं। आज जेट के दरवाजे उनके लिए बंद होने से वह हतप्रभ हैं। वह अकेली नहीं हैं। बात चाहे 16 साल से काम कर रहे सीनियर कैप्टन राजेश हांडा की हो या महज 5 साल बिताने वाली एयर होस्टेस रेनू राजौरा की… फेहरिस्त लंबी है।
जेट की सेवाएं बंद होने से उसके 22 हजार कर्मचारियों की जिंदगी थम सी गई है। कर्मचारियों में कुछ को दूसरी एयरलाइंस से आधी सैलरी पर काम करने का ऑफर मिला है, बाकी को कल का पता नहीं। इनके अलावा ट्रैवल एजेंट्स और एयरपोर्ट आउटलेट्स पर भी इसका असर पड़ा है।
26 बरसों से सेवाएं दे रही जेट एयरवेज का ऑपरेशन रोक दिया गया है। यह पिछले पांच साल में बंद होने वाली सातवीं एयरलाइन कंपनी है। बैंकों ने कर्ज में डूबी कंपनी को और मदद देने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को कंपनी के ढेरों कर्मचारियों ने जंतर-मंतर पर बड़ा विरोध प्रदर्शन किया, जिसे साइलेंट अपील का नाम दिया गया। एयरलाइंस में नौकरी पाना एक समय ड्रीम पूरा होने के बराबर माना जाता था। लेकिन यह चार्म खत्म होता नजर आ रहा है।
‘मुझे पिछले 4 महीने से सैलरी नहीं मिली है’
जेट एयरवेज में 16 साल से सीनियर कैप्टन राजेश हांडा कहते हैं पिछले 4 महीने से सैलरी नहीं मिली है। घर के लिए लोन लिया हुआ है, दो बच्चे हैं, स्कूल फीस भरनी होती है। अगर घर की किस्त नहीं दी, तो बैंक डिफॉल्टर घोषित कर देगा। बिना सैलरी के कितने दिन तक घर का खर्च कैसे चलेगा, यह सोचकर पूरा परिवार चिंता में है।
जब कोई को-पायलट बनता है तो उसकी ट्रेनिंग का खर्च करीब सवा करोड़ रुपये के आसपास आता है। उसकी ईएमआई सवा लाख के आसपास जाती है। उसके चार से पांच साल के बाद वह पायलट बनता है। कितने सपने संजोए थे, लेकिन सब चकनाचूर होते नजर आ रहे हैं।
…और रो पड़ीं जेट एयरवेज की होस्टेस हरप्रीत
जेट में असिस्टेंट बेस मैनेजर हरप्रीत कौर पिछले 22 साल से यहां जॉब कर रही हैं। 20 साल तक वे एयर होस्टेस थीं। पिछले दो साल से ऑपरेशंस देख रही हैं। वह कहती हैं, इतने साल तक यहां नौकरी की।
मार्केट में जैसे हालात हैं, उनमें दूसरी नौकरी मिलना आसान नहीं, … कहते-कहते जोर-जोर से रोने लगती हैं। बूढ़े मां-बाप को भी देखना है, बेटे ने दसवीं के एग्जाम दिए हैं। अभी फीस देनी है। ये सब कहां से होगा। कितने दिन तक बिना सैलरी और नौकरी के चलेगा, कुछ समझ में नहीं आ रहा।
‘पल भर में सबकुछ बिखर सा गया’
रेनू राजौरा पिछले पांच साल से जेट में एयर होस्टेस हैं। उनका कहना है कि एक महीने से सैलरी नहीं मिली। घर का रेंट देना है। भाई कॉलेज में पढ़ता है, उसकी फीस का इंतजाम भी उन्हें ही करना पड़ता है। बुजुर्ग मां-बाप हरियाणा में रहते हैं, उनका भी खर्च चलाना है।
दिल्ली में किराये पर रहती हैं। खाने-पीने से लेकर बिजली-पानी तक के तमाम खर्चे हैं। अगर अब नौकरी ही नहीं रहेगी तो घर लौटना पड़ेगा। करियर बनाने के लिए कितनी कड़ी मेहनत की थी, लेकिन पल भर में सबकुछ बिखर सा गया है।