लहसुन 7.84 लाख मीट्रिक टन हुआ, सरकार खरीदेगी सिर्फ 1.27%

    0
    1020
    कम भाव सुनकर किसान की मौत हुई थी, उसके घर में भरा है लहसुन

     स्कीम सिर्फ बेवकूफ बनाने के लिए ,कम भाव सुनकर किसान की मौत हुई थी, उसके घर में भरा है लहसुन -किसान नेता

    कोटा। बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत सरकारी खरीद के बाद भी लहसुन किसानों को राहत नहीं मिलेगी। सरकार केवल 10 हजार मीट्रिक टन लहसुन खरीदेगी, जबकि हाड़ौती में 7.84 लाख मीट्रिक टन लहसुन की पैदावार हुई है।

    केवल बारां जिले में ही 2.50 लाख मीट्रिक टन लहसुन का उत्पादन हुआ है। यानी सरकार सिर्फ 1.27 फीसदी हिस्सा ही खरीदेगी। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार की ये कोशिश नाकाफी है। इससे लहसुन किसानों में फसल बेचने के लिए मारामारी मचेगी। यह किसानों को बेवकूफ बनाने वाली स्कीम है। वहीं, सरकार के आदेश के बावजूद मंगलवार को किसी भी सेंटर पर लहसुन की खरीद नहीं हुई।

    हाड़ौती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने बताया कि जितना खरीदने का लक्ष्य है उतना तो हाड़ौती की मंडियों में डेढ़ दिन में बिक जाता है। सरकार सारा लहसुन खरीदने की गारंटी ले और 5000 रुपए क्विंटल का भाव फिक्स करे। कम से कम 150 दिन लहसुन खरीदना चाहिए। किसान नेता चौथमल नागर ने कहा कि जो लहसुन सरकार खरीदने जा रही है वह 1 से 2 दिन में खरीदा जा सकता है।

    रात को मिले आदेश

    रात साढ़े 8 बजे राजफैड को आदेश मिले। इसके तहत 12 जुलाई तक 20 एमएम साइज से ज्यादा के लहसुन खरीदने के आदेश हैं। राजफैड के एरिया मैनेजर विष्णु दत्त शर्मा के अनुसार अभी दो से तीन दिन तो ट्रांसपोर्टेशन बारदाने की व्यवस्था करने में लगेंगे। क्षेत्र में स्टोरेज की व्यवस्था नहीं होने से लहसुन को तत्काल दिल्ली, चंडीगढ़ या साउथ की मंडियों में भेजना पड़ेगा। इसलिए कोटा को छोड़कर बाकी केंद्रों पर अगले दो दिनों तक खरीद होना मुश्किल है।

    खरीदा जाएगा 20 एमएम साइज के ऊपर का लहसुन :

    राजफैडके एरिया मैनेजर के अनुसार  20 एमएम साइज के ऊपर का लहसुन खरीदा जाएगा । 18 फीसदी लहसुन 20 से 30 एमएम का है। इसका भाव मंडियों में 900 से 1200 रुपए क्विंटल है। 70 फीसदी लहसुन 30 से 35 एमएम का है जो 1800 से 3000 से बिक रहा है। वर्ष 2012 में लहसुन का भाव 1000 क्विंटल से भी कम था। 

    लहसुन पर सियासत

     भामाशाह मंडी में 10 दिन पहले लहसुन की कीमत घटने की खबर सुनकर सदमे से दम तोड़ने वाले किसान सत्यनारायण मीणा के घर रोण में हर दिन 25-30 नेता शोक जताने आते हैं। दिलासा देते हैं, दुख जताते हैं, सरकार से बात करने का भरोसा भी देते हैं। सत्यनारायण की मौत का सबब बनने वाला लहसुन घर में भरा पड़ा है, दाम बढ़ने के इंतजार में। बड़ौदा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से भी 25 हजार का कर्ज ले रखा था। मंडी में लहसुन के भाव 21 रुपए किलो सुनकर उसकी जान चली गई। 800 किसान परिवार वाले रोण गांव में 80 फीसदी किसानों पर कर्ज है।