कोटा से गुजरने वाली 65 ट्रेनें निरस्त, रेलवे को 15 करोड़ का नुकसान

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    कोटा। राजस्थान विधानसभा में आरक्षण संबंधी विधेयक पेश किए जाने के बाद गुरुवार को रेलवे अधिकारियों को उम्मीद थी कि गुर्जर आंदोलन खत्म हो जाएगा और स्टेशन पर फिर से रौनक लौटेगी। लेकिन, दिनभर इंतजार के बाद फिर बुरी खबर आई कि आंदोलनकारियों ने फिलहाल ट्रैक से उठने से मना कर दिया। रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, कोटा जंक्शन पर सिर्फ 10 फीसदी ट्रैफिक बचा है, ज्यादातर गाड़ियां निरस्त हैं या डायवर्ट रूट से चलाई जा रही हैं।

    कोटा पूरी तरह से कटऑफ हो चुका है, क्योंकि दिल्ली और जयपुर दोनों रूट बंद हैं। लंबे रूट की गाड़ियां तो पहले से बंद थी, जयपुर वाली ट्रेनें बुधवार को चौथ का बरवाड़ा में ट्रैक जाम किए जाने के बाद से बंद हो गई। इस आंदोलन के चलते रेलवे को अब तक करीब 15 करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है।

    कोटा मंडल से गुजरने वाली 65 से ज्यादा ट्रेनें निरस्त चल रही है, वहीं दो दर्जन गाड़ियों को रूट बदलकर चलाया जा रहा है, 12 गाड़ियां आंशिक रद्द की गई है। मुंबई से आने वाली 17 ट्रेनों को 19 फरवरी तक निरस्त रखा गया है।

    कुलियों के सामने रोजी-रोटी का संकट
    कोटा से सिर्फ कोटा-रूठियाई मार्ग खुला है, जिस पर कुछ ट्रेनों का संचालन हो रहा है। कोटा रेलवे स्टेशन के हालात ऐसे हैं कि लगातार गाड़ियां निरस्त होने के चलते कुलियों और स्टेशन पर रोजगार चलाने वाले अन्य लोगों के सामने भी रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। वहीं कोटा से अप-डाउन करने वाले हजारों यात्री भी परेशान है।

    डायवर्ट रूट से किया गया बसों का संचालन
    गुर्जर आंदोलन के चलते गुरुवार को नैनवां व टोंक मार्ग के अलावा अन्य मार्गों पर बसों का संचालन हुआ। हालांकि कुछ मार्ग पर बसें डायवर्ट होने के कारण यात्रियों को लंबी दूरी तय करनी पड़ी। कोटा डिपो के मुख्यप्रबंधक जावेद अली ने बताया कि बुधवार को जयपुर जाने वाली बसों को डायवर्ट मार्ग पर जाम लगाने के कारण जयपुर का संचालन बंद कर दिया था, लेकिन गुरुवार को जाम हटने के बाद से ही डायवर्ट मार्ग से बसों को जयपुर के लिए भेजा गया। गुर्जर आंदोलन के चलते गुरुवार को नैनवां मार्ग बंद रहा। इसके अलावा सभी मार्ग पर बसों का संचालन किया गया। इससे यात्रियों को परेशानी हुई।